भुवनेश्वर: आज यानी अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दिन देश में कोरोना वैक्सीन का रिकॉर्ड कायम किया जा रहा है. आखिरी जानकारी तक करीब 80 लाख लोगों का वैक्सीनेशन किया जा चुका है. लेकिन इस बीच ओडिशा से यह भी खबर आई है कि वहां पर आदिवासी समुदाय के लोग कोरोना वैक्सीन से डर कर जंगल में भाग रहे हैं. राज्य नबरंगपुर जिले के गांवों में आदिवासी अपना घर छोड़कर जंगल में जा छुप रहे हैं.
न्यू इंडियन एक्प्रेस में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक कोरोना वैक्सीन को लेकर सोशल मीडिया पर फैलीं भ्रामक खबरों का असर भोलेभाले आदिवासियों पर पड़ रहा है. मेन स्ट्रीम से कटा हुआ ये आदिवासी समाज मानता है कि कोरोना महामारी किसी आसुरी शक्ति की वजह से फैली है. इसी वजह से वैक्सीनेशन की बजाए ये लोग स्थानीय देवियों की पूजा कर वायरस को हराने की प्रार्थना कर रहे हैं. मालगांव, दंडमुंडा, खोपराडिही, संधिमुंडा और फाटकी जैसे गांवों में लोग ऐसी पूजा कर रहे हैं. कोरोना को भगाने इन गांवों में ग्रामीण देवता की मूर्ति को पूरे गांव में घुमा रहे हैं. लोगों का विश्वास है कि इससे वायरस भाग जाएगा.
मोबाइल के जरिए वैक्सीनेशन को लेकर भ्रामक सूचनाएं पहुंच रही हैं
सबसे बुरी बात तो ये है कि लोगों तक मोबाइल के जरिए वैक्सीनेशन को लेकर भ्रामक सूचनाएं पहुंच रही हैं. लोगों तक भ्रामक जानकारी पहुंच गई है कि वैक्सीनेशन के बाद शरीर में चुंबकीय शक्ति विकसित हो जाती है. अब जैसे ही आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता गांव में वैक्सीनेशन के लिए पहुंचते हैं, कोई भी घर से बाहर नहीं आता है. निराश हेल्थ टीम को वापस लौटना पड़ता है.
समझाने के प्रयास जारी
हालांकि स्थानीय स्तर पर आदिवासी समाज के भीतर से वैक्सीन के डर को खत्म करने की भी कोशिश जा रही है. ऐसे ही एक गांव के सरपंच ने कहा है-लोगों को महामारी से बचाने का एकमात्रा रास्ता वैक्सीनेशन है. लेकिन आखिरकार आदिवासी वही करेंगे जिसपर उनको भरोसा होगा. हम लगातार उन्हें समझाने का प्रयास कर रहे हैं.