जयंती पर स्थापित की गई रवींद्र नाथ टैगोर की प्रतिमा, माल्यार्पण कर दी गई श्रद्धांजलि

जामताड़ा: गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर के 163वीं जयंती के अवसर पर जामताड़ा सरखेलडीह मोड़ में गुरुदेव की प्रतिमा स्थापित की गई. जामताड़ावासियों के सहयोग से स्थापित की गई इस प्रतिमा स्थापना समारोह में भारी संख्या में शहर के बांग्ला भाषी समाज के लोग और शहर के गणमान्य लोग उपस्थित हुए. करीब 3 वर्षों से गुरुदेव की प्रतिमा स्थापित करने की प्रक्रिया लंबित थी जो बुधवार को पूरी हुई. सरखेलडीह मोड़ में संगमरमर से बनी गुरुदेव की प्रतिमा स्थापित की गई. इस अवसर पर उपस्थित लोगों ने गुरुदेव की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके जीवन चित्र को लोगों के समक्ष रखा.

वरिष्ठ समाज सेवी देवाशीष सर्खेल ने बताया कि सन 1861 में कोलकाता ठाकुरबाड़ी में गुरुदेव का जन्म हुआ था और 1941 में इसी ठाकुरबाड़ी में उन्होंने अपना अंतिम सांस लिया. उन्होंने कहा कि भारतीय साहित्य दर्शन और काव्य रचना में गुरुदेव की कोई सानी नहीं है. भारत के प्रथम नोबेल पुरस्कार विजेता के नाम के रूप में गुरुदेव का नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखा हुआ है. गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर की रचनाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं. उनके लिखे राष्ट्रगान आज जहां जन-गण-मन भारतीय राष्ट्रगान के रूप में स्थापित है, वहीं, उनकी एक रचना ‘अमार सोनार बंग्ला’ बांग्लादेश का राष्ट्रगान भी है.

इस अवसर पर गुरुदेव को श्रद्धा सुमन अर्पित करने के उपरांत समाजसेवी देवाशीष मिश्रा ने बताया कि टैगोर, कवि गुरु, गुरुदेव, विश्व कवि जैसे कई महान उपनाम से रवींद्रनाथ ठाकुर को अलंकृत किया गया. समाज सुधार के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियों को गिन पाना बहुत मुश्किल है. देवाशीष मिश्रा ने कहा कि मोहनदास करमचंद गांधी को महात्मा की उपाधि देने वाले गुरुदेव रविंद्र नाथ ठाकुर को हम सभी लोग शत-शत नमन करते हैं. प्रतिमा स्थापना दिवस के अवसर पर शिल्पी सर्खेल, गार्गी सर्खेल, तनुश्री खां आदि के द्वारा रविंद्र संगीत का आयोजन किया गया. गुरुदेव के द्वारा लिखी लिखे गए रचनाओं को गीत के रूप में प्रस्तुत कर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया.

इस मौके पर प्रताप सिंह, हृदय रंजन दत्त, अरूप मित्रा, शंकर सर्खेल, सचिन्द्रनाथ घोष, प्रदीप सरकार, लालटू सरकार, अरुण राय, देवजीत सर्खेल, समीर दत्ता, अनूप सर्खेल, तन्मय सर्खेल सहित अन्य गणमान्य लोग उपस्थित थे.