Ranchi : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन बुधवार को अपने पैतृक गांव नेमरा में ग्रामीणों से मुलाकात की और गांव की गलियों में पैदल घूमकर आम लोगों की समस्याएं सुनीं। इस दौरान मुख्यमंत्री एकदम सादगीपूर्ण अंदाज में नजर आए।
नेमरा की पगडंडियों पर चलते हुए हेमंत सोरेन में उनके पिता, दिशोम गुरु शिबू सोरेन की छवि साफ झलक रही थी। नीतियों से लेकर सोच तक, मुख्यमंत्री अपने पिता की विचारधारा और जनता की सेवा के संकल्प को आगे बढ़ा रहे हैं।
जल, जंगल, ज़मीन से गहरा जुड़ाव
मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड की असली पहचान इसकी प्राकृतिक संपदा जल, जंगल और ज़मीन से है। ये केवल संसाधन नहीं, बल्कि झारखंड की आत्मा हैं। सरकार इनकी रक्षा और संवर्धन को प्राथमिकता दे रही है ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक हरा-भरा और सुरक्षित झारखंड मिल सके।
गांव की मिट्टी से अटूट रिश्ता
हेमंत सोरेन ने कहा कि उनका बचपन गांव की गोद में बीता है। खेतों की हरियाली, नदियों की कलकल और जंगलों की शांति उन्हें आज भी सुकून देती है। इसी से प्रेरित होकर उनकी सरकार ग्रामीण विकास और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दे रही है।
गांव की समस्याएं सुनीं, समाधान का भरोसा
निरीक्षण के दौरान मुख्यमंत्री ने स्थानीय किसानों और ग्रामीणों से बातचीत की और उनकी समस्याएं व सुझाव सुने। उन्होंने भरोसा दिलाया कि गांवों की बुनियादी सुविधाओं को मजबूत करने की दिशा में तेजी से काम किया जाएगा।
विरासत को आगे बढ़ाने का संकल्प
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके जीवन का हर कदम उनके पिता की सीख और आशीर्वाद से प्रेरित है। “गुरुजी ने सिखाया कि राजनीति का मकसद सत्ता नहीं, सेवा है। मैं उसी सोच को आगे बढ़ा रहा हूं।”
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