Johar Live Desk: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व स्पिनर हरभजन सिंह ने 2008 के आईपीएल सीजन के दौरान एस. श्रीसंत को थप्पड़ मारने की घटना को लेकर गहरा अफसोस जताया है। हाल ही में रविचंद्रन अश्विन के यूट्यूब शो ‘कुट्टी स्टोरीज’ में उन्होंने इस पुराने विवाद पर दिल से बात की और कहा कि अगर उन्हें अपने जीवन की कोई एक गलती मिटानी हो, तो वह यही घटना होगी।
घटना तब की है जब मुंबई इंडियंस और किंग्स इलेवन पंजाब के बीच मुकाबला हो रहा था। मैच के बाद श्रीसंत, जो उस समय पंजाब की ओर से खेल रहे थे, ने हरभजन को हार के बाद कुछ कहा, जिससे वह अपना आपा खो बैठे और मैदान पर ही उन्हें थप्पड़ मार दिया। यह पूरी घटना कैमरे में कैद हुई और श्रीसंत को रोते हुए देखकर पूरे क्रिकेट जगत में हड़कंप मच गया। हरभजन को इसके बाद मैच फीस कटौती और निलंबन जैसी अनुशासनात्मक कार्यवाही का सामना करना पड़ा।
हरभजन ने बताया कि उन्होंने श्रीसंत से करीब 200 बार माफी मांगी है। उन्होंने बार-बार कहा कि उन्होंने गलती की, और ऐसा बिल्कुल नहीं होना चाहिए था। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि श्रीसंत ने शायद उन्हें उकसाया, लेकिन एक पेशेवर खिलाड़ी से संयम की ही उम्मीद की जाती है। यह घटना सिर्फ उनके करियर का नहीं, बल्कि उनके जीवन का भी एक भावनात्मक बोझ बन गई।
इस इंटरव्यू में हरभजन ने उस पल का जिक्र किया जो उनके लिए सबसे अधिक भावुक और तकलीफदेह था। वर्षों बाद जब वह श्रीसंत की बेटी श्रीसांविका से मिले, तो उन्होंने प्यार से उससे बात करने की कोशिश की। लेकिन बच्ची ने सख्त लहजे में कहा – “मैं आपसे बात नहीं करना चाहती, आपने मेरे पापा को मारा था।” हरभजन ने कहा कि उस एक वाक्य ने उन्हें अंदर तक तोड़ दिया। वह पल उन्हें थप्पड़ मारने की घटना से भी ज्यादा दर्दनाक लगा।
हरभजन ने महसूस किया कि एक छोटी सी बच्ची की नजरों में उनकी जो छवि बनी, वह शायद जिंदगी भर उनके दिल में चुभन बनकर रहेगी। उन्होंने कहा कि वह लगातार उस बच्ची को समझाने की कोशिश करते हैं कि वह वैसे इंसान नहीं हैं जैसा उसने सुना या देखा है। वह चाहते हैं कि जब वह बड़ी हो, तो उन्हें एक अच्छे इंसान और ‘अंकल’ के रूप में याद रखे।
इस पूरी बातचीत के दौरान हरभजन ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया कि गुस्से में उठाया गया एक कदम जीवन भर का पछतावा बन सकता है। उन्होंने इस अनुभव से एक बड़ा सबक सीखा है और चाहते हैं कि युवा खिलाड़ी इससे प्रेरणा लें – कि मैदान पर जितनी भी प्रतिस्पर्धा हो, संयम और खेल भावना सबसे ऊपर होनी चाहिए।
समय के साथ हरभजन और श्रीसंत के रिश्ते में भी बदलाव आया है। अब दोनों अच्छे दोस्त हैं, एक-दूसरे का सम्मान करते हैं और कई मौकों पर मंच भी साझा करते हैं। लेकिन उस एक पल की टीस, एक बच्ची की नज़र से गिर जाना – वह एहसास हरभजन को आज भी भीतर तक झकझोर देता है।