New Delhi : भारत ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर बेनकाब करने के लिए एक संगठित और आक्रामक कूटनीतिक मुहिम की शुरुआत कर दी है. आज यानी बुधवार से शुरू हो रही इस पहल की पहली कड़ी संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में देखने को मिलेगी, जहां शिवसेना सांसद श्रीकांत शिंदे के नेतृत्व में एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल पहुंचेगा. यह प्रतिनिधिमंडल UAE के अलावा लाइबेरिया, कांगो और सिएरा लियोन का भी दौरा करेगा. कुल मिलाकर, सात प्रतिनिधिमंडलों को मिलाकर यह अभियान 32 देशों और बेल्जियम के ब्रुसेल्स स्थित यूरोपीय संघ मुख्यालय तक फैला होगा.
PM की तीन स्पष्ट नीतिगत लाइनें होंगी प्रमुख विषय
इस मुहिम के तहत प्रतिनिधिमंडल विभिन्न देशों को आतंकवाद के खिलाफ भारत की नई रणनीति और स्पष्ट रुख से अवगत कराएंगे. विदेश सचिव विक्रम मिस्री के नेतृत्व में मंगलवार को तीन प्रतिनिधिमंडलों को विशेष ब्रीफिंग दी गई, जिसमें पहलगाम आतंकी हमला, ऑपरेशन सिंदूर, और भारत द्वारा खींची गई नई रणनीतिक सीमा रेखा पर विस्तार से जानकारी दी गई.
तीन प्रमुख सिद्धांत :
- भारत अब परमाणु ब्लैकमेलिंग को स्वीकार नहीं करेगा.
- आतंकवाद के खिलाफ शून्य सहिष्णुता की नीति अपनाई गई है.
- आतंकियों और उनके संरक्षकों में कोई अंतर नहीं किया जाएगा.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय को दिए जाएंगे स्पष्ट संकेत
प्रतिनिधिमंडल विभिन्न देशों को यह संदेश देंगे कि पाकिस्तान आतंकवाद का पोषक और भारत इसका पीड़ित है. भारत की ओर से यह स्पष्ट किया जाएगा कि यदि भविष्य में किसी आतंकी घटना को अंजाम दिया गया, तो भारत कठोर और निर्णायक कार्रवाई करेगा. विशेष रूप से पहलगाम आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए बताया जाएगा कि आतंकी पाकिस्तान की धरती पर प्रशिक्षित हुए थे.
विपक्ष और सत्ता पक्ष का संतुलन
इस मुहिम में 51 सांसदों को शामिल किया गया है, जिनमें 31 सत्तारूढ़ NDA और 20 विपक्षी दलों से हैं. प्रतिनिधिमंडलों में संतुलन बनाए रखने के लिए प्रत्येक दल से विभिन्न पार्टियों के नेता शामिल किए गए हैं, जिनमें बैजयंत पांडा (भाजपा), रविशंकर प्रसाद (भाजपा), संजय कुमार झा (जदयू), शशि थरूर (कांग्रेस), कनिमोझी (डीएमके) और सुप्रिया सुले (एनसीपी-एसपी) प्रमुख हैं. सभी सात प्रतिनिधिमंडलों में कम से कम एक मुस्लिम प्रतिनिधि को शामिल किया गया है, जो या तो राजनेता हैं या पूर्व राजनयिक, ताकि यह संदेश भी दिया जा सके कि भारत की लड़ाई आतंकवाद के खिलाफ है, न कि किसी धर्म विशेष के विरुद्ध.
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