Ranchi : इस बार वट सावित्री व्रत और शनि जयंती अलग-अलग दिन मनाई जाएगी। ज्येष्ठ मास की अमावस्या तिथि को आमतौर पर ये दोनों पर्व एक ही दिन आते हैं, लेकिन इस वर्ष वट सावित्री व्रत 26 मई को और शनि जयंती 27 मई को मनाई जाएगी।
ज्योतिषियों के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या 26 मई को दिन में 10:54 बजे से शुरू होकर 27 मई सुबह 8:30 बजे तक रहेगी। 26 मई को मध्याह्न और प्रदोष कालीन अमावस्या होने के कारण इसी दिन वट सावित्री व्रत रखा जाएगा, जबकि शनि जयंती 27 मई को उदया काल में अमावस्या होने के कारण मनाई जाएगी।
वट सावित्री व्रत का महत्व
वट सावित्री व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ्य और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना के लिए रखती हैं। इस दिन वटवृक्ष की पूजा की जाती है और सावित्री-सत्यवान की कथा सुनी जाती है। मान्यता है कि सावित्री ने अपने दृढ़ संकल्प और भक्ति से अपने पति सत्यवान को यमराज से पुनर्जीवित कर लिया था।
बन रहे हैं शुभ योग
इस दिन भरणी नक्षत्र सुबह 7:14 बजे तक रहेगा, इसके बाद कृतिका नक्षत्र प्रवेश करेगा। साथ ही शोभन और अतिगण्ड योग भी बन रहे हैं। सूर्य और चंद्रमा दोनों वृष राशि में गोचर कर रहे हैं, जिससे यह दिन विशेष रूप से शुभ माना जा रहा है।
व्रत रखने का तरीका
कई महिलाएं इस दिन निर्जला व्रत रखती हैं, जबकि कुछ फलाहार करती हैं। फलाहार में सेब, केला, आम, अंगूर और नारियल पानी लेने की सलाह दी जाती है जिससे शरीर को ऊर्जा मिलती है और व्रत के दौरान थकान महसूस नहीं होती।
पूजा विधि और परंपरा
महिलाएं साफ वस्त्र पहनकर 16 श्रृंगार करती हैं, वट वृक्ष की पूजा करती हैं और उसकी परिक्रमा करती हैं। पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ किया गया यह व्रत वैवाहिक जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है।
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