New Delhi : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट को अपडेट करने के लिए चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम निर्देश जारी किया है। कोर्ट ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग को वोटर लिस्ट में नाम शामिल करने के लिए आधार कार्ड को 11 स्वीकार्य दस्तावेजों में से एक के रूप में अनिवार्य रूप से स्वीकार करना होगा। इसके साथ ही, कोर्ट ने बिहार में हटाए गए मतदाताओं को आधार कार्ड या अन्य स्वीकार्य दस्तावेजों के साथ अपने दावे ऑनलाइन जमा करने की अनुमति भी दी है।
बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसके मद्देनजर चुनाव आयोग वोटर लिस्ट को दुरुस्त करने के लिए बड़े पैमाने पर SIR प्रक्रिया चला रहा है। पहले इस प्रक्रिया में वोटर्स से 11 तरह के दस्तावेज मांगे जा रहे थे, जिसमें आधार कार्ड शामिल नहीं था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश के बाद अब आधार कार्ड को भी इन दस्तावेजों में शामिल करना होगा।
चुनाव आयोग ने हाल ही में 65 लाख मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जाने की जानकारी सुप्रीम कोर्ट में दी। आयोग ने अपने हलफनामे में बताया कि ये नाम एक अगस्त को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची में शामिल नहीं थे। इन हटाए गए मतदाताओं के नाम और उनके विवरण, जिसमें नाम हटाने का कारण जैसे मृत्यु, निवास स्थान का स्थानांतरण या डुप्लिकेट प्रविष्टियां शामिल हैं, बिहार के सभी 38 जिला निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइटों पर उपलब्ध करा दिए गए हैं।
चुनाव आयोग ने यह भी बताया कि इन सूचियों की भौतिक प्रतियां (फिजिकल कॉपी) बिहार के गांवों में पंचायत भवनों, खंड विकास कार्यालयों और पंचायत कार्यालयों में लगाई गई हैं, ताकि लोग आसानी से इन तक पहुंच सकें और अपनी शिकायतें या पूछताछ दर्ज करा सकें।
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