Ranchi : सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड के सारंडा क्षेत्र को 31,468.25 हेक्टेयर में सेंक्चुअरी घोषित करने की अनुमति दे दी है। साथ ही कोर्ट ने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (SAIL) और वैध खनन कार्यों को सेंक्चुअरी के प्रभाव क्षेत्र से बाहर रखने का आदेश दिया। कोर्ट ने हेमंत सरकार को एक सप्ताह के अंदर शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश भी दिया। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायाधीश के विनोद चंद्रन की पीठ ने सुनाया।
क्या हुआ सुनवाई में?
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) के आदेश की तुलना में क्षेत्रफल बढ़ने का कारण पूछा। राज्य सरकार की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने जवाब दिया कि वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (WII) ने अध्ययन के बाद 5,519.41 हेक्टेयर को सेंक्चुअरी घोषित करने का प्रस्ताव दिया था। यह प्रस्ताव डीएफओ से लेकर पीसीसीएफ तक पहुंचा, लेकिन सरकार इससे सहमत नहीं थी। वन सचिव ने शपथ पत्र के जरिए इसकी जानकारी दी थी।
राज्य सरकार का रुख
राज्य सरकार ने कहा कि वह NGT के निर्देशों के आधार पर 31,468.25 हेक्टेयर को सेंक्चुअरी घोषित करने के लिए तैयार है। साथ ही, यह सुनिश्चित करने की मांग की कि इससे खनन कार्य प्रभावित न हों।

Amicus Curiae का विरोध
Amicus Curiae ने क्षेत्रफल फिर से चिह्नित करने की मांग का विरोध किया। उन्होंने कहा कि सरकार पहले ही 31,468.25 हेक्टेयर को चिह्नित कर चुकी है, जिसमें 126 कंपार्टमेंट हैं और वहां कोई खनन नहीं हो रहा। इसलिए दोबारा चिह्नांकन का समय नहीं देना चाहिए।
SAIL की अपील
SAIL ने कोर्ट से अनुरोध किया कि सेंक्चुअरी घोषित करने से उनके खनन कार्य प्रभावित न हों, क्योंकि सेंक्चुअरी के 1 किलोमीटर के दायरे में खनन पर प्रतिबंध रहता है। कोर्ट ने स्टील उत्पादन और राष्ट्रीय महत्व को ध्यान में रखते हुए SAIL और वैध खनन को प्रभावित न होने देने का निर्देश दिया।
मुख्य सचिव को राहत
कोर्ट ने झारखंड के मुख्य सचिव को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होने से छूट दे दी। वे बुधवार को कोर्ट में मौजूद थे। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला सारंडा को सेंक्चुअरी बनाने के साथ-साथ खनन कार्यों को संतुलित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
Also Read : बिहार विस चुनाव : बुजुर्ग, दिव्यांग और सेवा मतदाताओं को पोस्टल बैलट की सुविधा देगा ECI