Pakur : पाकुड़ में विजयादशमी के शुभ अवसर पर शहर के विभिन्न दुर्गा मंदिरों और पूजा पंडालों में पारंपरिक सिंदूर खेला की रस्म धूमधाम से निभाई गई। सुहागिन महिलाओं ने मां दुर्गा की विदाई से पहले पूजा-अर्चना की और पूरे उत्साह के साथ एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर सौभाग्य की कामना की।
रेलवे कॉलोनी समेत कई प्रमुख पूजा स्थलों पर बड़ी संख्या में महिलाएं एकत्र हुईं। महिलाओं ने पूरे विधि-विधान से मां भवानी की पूजा की, फिर सिंदूर से एक-दूसरे को शुभकामनाएं दीं, गीत गाए और नृत्य किया। माहौल भक्तिभाव और उमंग से सराबोर रहा।
सिंदूर खेला की मान्यता और आस्था
धार्मिक मान्यता के अनुसार, विजयादशमी के दिन मां दुर्गा अपने मायके से वापस लौटती हैं। इस विदाई से पहले सुहागन महिलाएं मां के चरणों में सिंदूर चढ़ाती हैं और एक-दूसरे को सिंदूर लगाकर अपने वैवाहिक सुख और पतियों की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं।

महिलाओं का कहना है कि सिंदूर सुहाग का प्रतीक है और यह रस्म केवल परंपरा नहीं, बल्कि आस्था से जुड़ी हुई है। यह रिवाज सदियों से चला आ रहा है और आज भी उसी श्रद्धा के साथ निभाया जा रहा है।
वर्षा के बावजूद नहीं थमा उत्साह
हालांकि बुधवार को नवमी के दिन अचानक मौसम बदला और बारिश हुई, फिर भी लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई। पूजा पंडालों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी और हर कोई दुर्गा पूजा के अंतिम दिन का आनंद उठाते दिखा।
सांस्कृतिक उल्लास से भरा रहा पाकुड़
नवरात्रि के नौ दिन तक चला दुर्गा पूजा महोत्सव विजयादशमी के दिन अपने चरम पर पहुंचा। सिंदूर खेला के साथ यह उत्सव संपन्न हुआ, जो ना केवल धार्मिक भावना का प्रतीक बना, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता की मिसाल भी पेश करता रहा।
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