Johar Live Desk : भारत के पहले अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (ISS) यात्री शुभांशु शुक्ला ने हाल ही में अपने अंतरिक्ष अनुभव साझा किए हैं। एक्सिओम-4 मिशन के तहत 18 दिन ISS पर बिताने के बाद धरती पर लौटे शुभांशु ने बताया कि अंतरिक्ष में खाना खाना एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि गुरुत्वाकर्षण की कमी के कारण खाने-पीने की चीजों को बहुत सावधानी से संभालना पड़ता है, अन्यथा गड़बड़ी हो सकती है।
शुभांशु ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने अंतरिक्ष में खाना खाने और कॉफी पीने का तरीका दिखाया। वीडियो के साथ उन्होंने लिखा, “अंतरिक्ष में खाना। कभी नहीं सोचा था कि मुझे फिर से खाना खाना सीखना पड़ेगा। अगर आप सावधान नहीं हैं, तो आसानी से गड़बड़ हो सकती है। अंतरिक्ष में हर काम के लिए एक मंत्र काम करता है- ‘धीरे चलो, तेजी से पहुंचो’।”
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उन्होंने यह भी बताया कि पाचन के लिए गुरुत्वाकर्षण की आवश्यकता नहीं होती। ‘पेरिस्टलसिस’ नामक प्रक्रिया, जिसमें मांसपेशियों का संकुचन और शिथिलीकरण भोजन को पाचन तंत्र में आगे बढ़ाता है, अंतरिक्ष में भी काम करती है। चाहे सिर ऊपर हो या नीचे, शरीर भोजन को पचा लेता है। शुभांशु ने कहा, “अंतरिक्ष में पानी भी खाना पड़ता है।”
भारत के दूसरे अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला का यह अनुभव न केवल वैज्ञानिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के लिए भी एक ऐतिहासिक उपलब्धि है।