Saraikela: झारखंड के आदिवासी समुदाय ने हाल ही में कुड़मी समुदाय द्वारा किए गए “रेल टेका–डहर छेका” आंदोलन के खिलाफ अपना विरोध तेज कर दिया है। कुड़मी समुदाय एसटी सूची में शामिल होने और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग कर रहा है।
गुरुवार को सरायकेला-खरसावां जिले के सभी प्रखंडों के आदिवासी हजारों की संख्या में जिला मुख्यालय पर रैली के रूप में जमा हुए, जिसमें उन्होंने पारंपरिक हरवे और हथियार उठाए हुए थे। प्रदर्शनकारियों ने उपायुक्त को एक मांग पत्र सौंपा और चेतावनी दी कि यदि सरकार कुड़मियों को आदिवासी का दर्जा देती है, तो झारखंड में मणिपुर जैसी स्थिति पैदा हो सकती है।
आदिवासी नेताओं ने कुड़मी समुदाय की रणनीति की निंदा करते हुए इसे गैरकानूनी बताया और कहा कि संविधान की गलत व्याख्या कर कुड़मी खुद को आदिवासी घोषित करने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि कुड़मी आंदोलन से सरकार को राजस्व का नुकसान हो रहा है और रेल यात्रियों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। आदिवासी नेताओं ने चेतावनी दी कि उनका अगला कदम कोल्हान क्षेत्र में आर्थिक नाकेबंदी होगा।

नेताओं ने कहा कि कोलहान के आदिवासी एकजुट हो रहे हैं और क्षेत्र से निकलने वाले खनिज संसाधनों की ढुलाई पर रोक लगा सकते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी हालत में कुड़मियों को आदिवासी बनने नहीं दिया जाएगा। साथ ही चेताया कि यदि राज्य और केंद्र सरकार इस मामले को गंभीरता से नहीं लेते हैं, तो झारखंड में मणिपुर जैसी स्थिति दोहराई जा सकती है।