झारखंड के स्वास्थ्य क्षेत्र में अक्षय ऊर्जा द्वारा 1200 करोड़ निवेश आकर्षित करने की संभावना

रांची। झारखंड रिन्यूएबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (जेरेडा), सेंटर फॉर एनवायरनमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) एवं पॉवर फॉर ऑल द्वारा संयुक्त रूप से तैयार एक रिपोर्ट ‘फ्यूचर-रेडी झारखंड : आरई-पॉवरिंग हेल्थ सेक्टर’ का आज एक कांफ्रेंस में विमोचन किया गया।

इस कांफ्रेंस का मुख्य उद्देश्य झारखंड के जन-स्वास्थ्य क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने में अक्षय ऊर्जा की महत्वपूर्ण भूमिका प्रकाश डालना और इस पर समुचित नीतिगत पहल के लिए संवाद करना था।

यह रिपोर्ट राज्य में अगले दस वर्षों में स्वास्थ्य ढाँचे को मजबूत करने के लिए हेल्थ-एनर्जी के साझा विज़न पर अमल करने पर बल देती है और बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं को सुनिश्चित करने के लिए अक्षय ऊर्जा और इसके विकेन्द्रीकृत मॉडलों को अपनाने पर जोर देती है।

इस अवसर पर श्री बिजय कुमार सिन्हा, प्रोजेक्ट डायरेक्टर, जेरेडा ने कहा कि ‘एक स्टेट नोडल एजेन्सी के रूप में राज्य में अक्षय ऊर्जा के व्यापक इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं और यह रोडमैप इसी कड़ी में उठाया गया एक प्रयास है।

अक्षय ऊर्जा के विकेन्द्रित मॉडल्स जहां बेहतर बिजली आपूर्ति के जरिए स्वास्थ्य अधिसंरचना को मजबूत करते हैं, वहीं सोलर एनर्जी आधारित हेल्थ सोल्यूशन्स सामान्य एवं इमरजेंसी सेवाओं को बेहतर बनाने में सक्षम हैं। जेरेडा ने स्वास्थ्य विभाग के साथ मिलकर 423 स्वास्थ्य केंद्रों को सौर ऊर्जा से लैस किया है, जो करीब 7 मेगावाट की संस्थापित क्षमता को प्रदर्शित करती है। जेरेडा स्वास्थ्यकर्मियों एवं सभी स्टेकहोल्डर्स को हरसंभव कैपेसिटी बिल्डिंग और ट्रेनिंग उपलब्ध कराता रहेगा, ताकि राज्य में स्वच्छ ऊर्जा का राज्यव्यापी फैलाव सुनिश्चित हो सके।’

रोडमैप के व्यापक उद्देश्यों एवं संदर्भ पर डॉ मनीष कुमार, डायरेक्टर, रिसर्च एंड डेवलपमेंट, सीड ने कहा कि ‘स्वास्थ्य अधिसंरचना का सौरकरण सभी लोगों तक स्वास्थ्य सेवा पहुँचाने के लिए मुख्य साधन हो सकता है। एक विशेष कार्यक्रम ‘स्वास्थ्य सेवा के लिए सोलर’ (सोलर फॉर हेल्थकेयर) शुरू होना चाहिए, जिसके तहत सभी ग्राम पंचायतों, प्रखंडों, अनुमंडलों और जिला स्तर पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और आंगनबाड़ी केंद्रों को विकेन्द्रीकृत अक्षय ऊर्जा प्रणालियों से लैस किया जाए। इसके लिए प्रमुख विभागों एवं एजेंसियों को कन्वर्जेन्स के साथ काम करना चाहिए, जो एक विज़न के साथ समुचित नीति-निर्माण और समर्थनकरी वित्तीय, निवेश एवं मार्केटिंग परिदृश्य को प्रोत्साहित करे।’

इस रिपोर्ट में पहली बार राज्य के ग्रामीण और शहरी जनस्वास्थ्य केंद्रों में व्याप्त ऊर्जा की कमी को चिन्हित करते हुए इसे बेहतर करने के लिए स्वास्थ्य और ऊर्जा के एकीकरण (हेल्थ और एनर्जी इंटीग्रेशन) की भूमिका पर जोर दिया गया है। यह रोडमैप बताता है कि झारखंड के स्वास्थ्य क्षेत्र में अक्षय ऊर्जा द्वारा 1200 करोड़ रु निवेश आकर्षित करने की संभावना है। स्वास्थ्य क्षेत्र में अगले दस वर्षों में अक्षय ऊर्जा से 175 मेगावाट बिजली प्राप्त करने की सम्भावना मौजूद है, जिसमें से 40 मेगावाट डीआरई सेक्टर से आना संभावित है। इस रिपोर्ट में ‘आशावादी दृष्टिकोण’ के तहत यह आकलन पेश किया गया है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में केवल 250 करोड़ रु के निवेश से राज्य सरकार के समक्ष 559 करोड़ रुपये की बचत की सम्भावना उत्पन्न हो सकती है। जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों के संकटपूर्ण समय में डीआरई सोल्यूशंस पर्यावरणीय संबंधी लाभों के साथ करीब 0.8 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन बचाने में योगदान दे सकता है।

स्वास्थ्य क्षेत्र में सौरकरण के महत्व पर प्रकाश डालते हुए श्री अश्विनी अशोक, प्रोग्राम मैनेजर, पावर फॉर ऑल ने कहा कि ‘कोविड महामारी के चुनौतीपूर्ण समय में अक्षय ऊर्जा स्वास्थ्य केंद्रों में बिजली उपलब्धता और स्वास्थ्य सेवाओं की आम जन तक पहुंच के दोहरे उद्देश्य की पूर्ति करने में सक्षम सिद्ध हुई है। सभी स्वास्थ्य केंद्रों को इंडियन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड्स के तहत तय मानकों को पूरा करने लायक बनाना होगा। इस सन्दर्भ में अक्षय ऊर्जा खासकर सोलर एनर्जी सिस्टम्स हेल्थ सेंटर्स को विश्वसनीय तरीके से दिन-रात बिजली सुविधा देकर स्वास्थ्य सेवाओं को प्रभावी बना सकते हैं। अक्षय ऊर्जा के व्यापक विस्तार हेतु निवेश आकर्षित करने और एक समर्थनकारी माहौल बनाने के लिए राज्य सरकार को इस दूरदर्शी रोडमैप को लागू करना चाहिए।’

कांफ्रेंस के दौरान अक्षय ऊर्जा से लैस सरकारी और निजी अस्पतालों के क्रियाकलापों में आये बदलावों से संबंधित केस स्टडीज भी प्रस्तुत किये गये। इस संदर्भ में स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में डीआरई एप्लीकेशंस की सकारात्मक भूमिका की प्रशंसा करते हुए इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के रांची चैप्टर के प्रेसिडेंट डॉ शम्भू प्रसाद सिंह ने कहा कि “डीआरई आधारित हेल्थ सोल्यूशन्स अस्पतालों में बिजली आपूर्ति के अलावा सामान्य और आपात स्थिति के दौरान भी सेवाएं प्रदान करते हैं, जैसे वैक्सीन रेफ्रिजरेटर, बेबी वार्मर और पोर्टेबल हेल्थ केयर किट आदि की सुविधाएँ प्रदान करने में यह बेहद उपयोगी हैं। मैं राज्य सरकार, आईएमए के सदस्यगणों और निजी अस्पताल प्रशासकों से आग्रह करता हूं कि वे अपने अस्पतालों में अक्षय ऊर्जा एवं डीआरई को तेजी से अपनाएं। ऐसा करने से राज्य के हेल्थ इंडीकेटर्स में काफी सुधार आयेगा।”

कांफ्रेंस के तकनीकी सत्र में स्वास्थ्य एवं ऊर्जा क्षेत्र के विशेषज्ञों एवं प्रतिनिधियों ने भागीदारी की, जिनमें श्री मुकेश प्रसाद (जेरेडा), श्री श्यामल संतरा (टीआरआईएफ), श्री देबनाथ बेरा (रांची पार्टनर्स कंसल्टेंट्स), श्री अशोक कुमार (टीआरआईएफ), श्री सत्यम अभिषेक (सीड) आदि प्रमुख थे। इसमें चर्चा का एक मुख्य बिंदु यह उभर कर सामने आया कि दूरदर्शी नीतियों को अविलम्ब लागू करने की जरूरत है, जो हेल्थ और एनर्जी से जुड़ी समस्याओं का ठोस समाधान करे और जनस्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे में वैकल्पिक ऊर्जा का आधार स्तम्भ बने। इसके लिए सोलर आधारित स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर, लॉजिस्टिक सप्लाई चेन और ट्रांसपोर्टेशन बेहद अहम् होंगे। इस कार्यक्रम में प्रमुख सरकारी विभागों एवं एजेंसियों, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, स्वास्थ्य समूहों, अकादमिक जगत, एनर्जी डेवलपर्स, और प्रमुख सिविल सोसाइटी संगठनों के प्रतिनिधियों की सहभागिता हुई।