कैंसर की नकली दवाई का कारोबार करने वाले रैकेट का खुलासा, 7 गिरफ्तार, विदेशियों को भी बनाते थे शिकार  

नई दिल्ली : दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को बड़ी सफलता हाथ लगी है. यहां कैंसर की नकली दवाई बनाने वालों को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार किया है. मौके पर नकली दवाइयां भी पुलिस ने जब्त की है. इस बड़े रैकेट में में शामिल सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिसमें से दो आरोपी दिल्ली के बड़े कैंसर अस्पताल के कर्मचारी हैं. पुलिस ने आरोपियों के पास से कैंसर की कुल नौ ब्रांड्स की नकली दवाइयां बरामद की हैं. इनमें से सात दवाइयां विदेशी ब्रांड्स की जबकि दो भारत में बनाई जाने वाली नकली दवाइयां हैं.

पुलिस का कहना है कि आरोपी अस्पताल में मरीजों को कीमोथेरेपी में इस्तेमाल में लाए जाने वाले इंजेक्शंस की खाली शीशी जुटाते थे, फिर उन शीशियों में एंटी फंगल दवा भरकर बेचते थे. आरोपियों के टारगेट पर दिल्ली के बाहर से आने वाले मरीज होते थे, खासतौर से हरियाणा, बिहार, नेपाल या फिर अफ्रीकी देशों से आने वाले मरीजों को वे अपना शिकार बनाते थे.

पुलिस ने जिन सात आरोपियों को गिरफ्तार किया है. उनके नाम विफल जैन, सूरज शत, नीरज चौहान, परवेज, कोमल तिवारी, अभिनय कोहली और तुषार चौहान हैं. इनमें से नीरज गुरुग्राम का रहने वाला है जबकि बाकी के छह दिल्ली के अलग अलग इलाकों के रहने वाले हैं.

क्राइम ब्रांच की विशेष आयुक्त शालिनी सिंह ने बताया कि उनकी टीम को जानकारी मिली है कि दिल्ली में एक गैंग एक्टिव है, जो कैंसर की नकली दवाइयां मरीजों को सप्लाई कर रहा है. इसके बाद आरोपियों को पकड़ने के लिए एक स्पेशल टीम बनाई गई.

क्राइम ब्रांच की टीम ने जब जांच आगे बढ़ाई तो उन्हें चार अलग-अलग जगह की जानकारी मिली, जहां से इस नेटवर्क को चलाया जा रहा था. पुलिस ने चारों जगह पर एक साथ छापेमारी की योजना बनाई ताकि आरोपियों को संभलने का मौका नहीं मिले. इन जगहों में दिल्ली के मोती नगर का डीएलएफ कैपिटल ग्रीन्स, गुड़गांव का साउथ सिटी, दिल्ली का यमुना विहार शामिल था.

दिल्ली पुलिस की टीम ने डीएलएफ कैपिटल ग्रीन्स में छापेमारी की, जो इस रैकेट का सबसे महत्वपूर्ण ठिकाना था. पुलिस के मुताबिक यहां पर विफल जैन कैंसर की नकली दवाइयां को बनाता था. विफल ही इस पूरे गैंग का सरगना भी था. पुलिस के मुताबिक इसने डीएलएफ ग्रीन्स में दो ईडब्ल्यूएस फ्लैट्स किराए पर ले रखे थे. यहां पर ये कैंसर की दवा की खाली शीशियों में नकली दवाई भर देता जबकि इसका साथी सूरज इन दोबारा भरी गई शीशियों को अच्छे तरीके से पैक करता था ताकि किसी को शक ना हो. पुलिस ने यहां से ऐसी 140 शीशियां बरामद की. इन शीशियां पर ओपडाटा, कीटूडा, डेक्सट्रोज, फ्लुकोनाज़ोल ब्रांड नाम लिखा था. इन ब्रांड्स की शीशी को इकट्ठा करके उनके अंदर नकली कैंसर इंजेक्शन भर देते थे. जांच में पता चला कि इन शीशियों में एंटी फंगल दवा होती थी.

पुलिस ने इस जगह से 50 हजार कैश, 1000 अमेरिकी डॉलर, शीशी की कैप को सील करने वाली तीन मशीन, एक हीटगन मशीन और 197 खाली शीशी बरामद की है. इसके साथ ही पैकेजिंग से जुड़े और भी नकली सामान पुलिस ने बरामद किए हैं, जो नकली भरी शीशियां बरामद की गई हैं, उनकी कीमत एक करोड़ 75 लाख है.

वहीं, जब पुलिस की टीम साउथ सिटी गुड़गांव पहुंची तो वहां एक फ्लैट के अंदर से नीरज चौहान को पुलिस ने बड़ी मात्रा में कैंसर की नकली दवाओं के इंजेक्शन और शीशियों के साथ गिरफ्तार किया. पुलिस ने छापेमारी के दौरान उसके पास से कैंसर की नकली दवा के 137 इंजेक्शन बरामद किए, जो कई नामी-गिरामी ब्रांड्स Keytruda, Infinzi, Tecentriq, Perjeta, Opdyta, Darzalex & Erbitux की शीशियों में थे. इसके अलावा पुलिस ने Keytruda, Infinzi, Tecentriq, Perjeta, Opdyta, Darzalex & Phesgo ब्रांड्स की 519 खाली शीशी बरामद की है. पुलिस ने 864 खाली पैकेजिंग बॉक्स भी बरामद किए हैं. नीरज चौहान से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसके चचेरे भाई तुषार चौहान को भी गिरफ्तार किया है. तुषार चौहान इस सप्लाई चेन का हिस्सा था.

दिल्ली पुलिस के मुताबिक, आरोपियों के पास से 137 भरी हुई शीशियां जो बरामद हुई है. यह साथ अलग-अलग अंतरराष्ट्रीय ब्रांड की है, जिनकी कीमत दो करोड़ 15 लाख रुपए है. इनके नाम कीटूडा, इन्फ़िनज़ी, टेसेंट्रिक, पेरजेटा, ओपडाटा, डार्ज़लेक्स और एर्बिटक्स है. पुलिस ने इनके पास से 89 लख रुपए कैश और 1800 अमेरिकी डॉलर भी बरामद किया है. इतना ही नहीं नीरज ने कैश काउंटिंग मशीन भी रखी हुई थी जिसे पुलिस ने जब्त कर लिया है.