Patna : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट की जांच प्रक्रिया ने सियासी तूफान खड़ा कर दिया है। इस प्रक्रिया में 65 लाख से अधिक मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए हैं, जिसमें राजद नेता और प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव का नाम भी शामिल है। इस घटना ने राज्य की सियासत को गरमा दिया है, और तेजस्वी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए इसे लोकतंत्र के लिए खतरा बताया है।
तेजस्वी का चुनाव आयोग पर हमला
शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तेजस्वी यादव ने कहा, “मेरा और मेरे स्टाफ का नाम वोटर लिस्ट से हटा दिया गया है। यह पूरी तरह अन्यायपूर्ण है। अब हम चुनाव कैसे लड़ेंगे?” उन्होंने आरोप लगाया कि वोटर लिस्ट से नाम हटाने की प्रक्रिया में कोई पारदर्शिता नहीं बरती गई। राजनीतिक दलों को बिना सूचित किए और सुप्रीम कोर्ट के सुझावों की अनदेखी करते हुए लाखों मतदाताओं के नाम काटे गए।
तेजस्वी जी का ही नाम वोटर लिस्ट से गायब है!
वोटर लिस्ट से नाम कटने का मतलब तेजस्वी जी चुनाव नहीं लड़ सकते!
केचुआ ने दो गुजराती के इशारे पर पिछड़े समुदाय से आने वाले बिहार के बेटे को ही “नागरिक” मानने से इनकार कर दिया!
यही है वोटर लिस्ट का असल “शुद्धिकरण” pic.twitter.com/EOtvlzxhEI
— Priyanka Bharti (@priyanka2bharti) August 2, 2025
तेजस्वी ने दावा किया कि हर विधानसभा क्षेत्र से 20,000 से 30,000 मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं, जो कुल मिलाकर 8.5% वोटरों की संख्या है। उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग ने हटाए गए मतदाताओं की कोई जानकारी नहीं दी, न EPIC नंबर, न पता, न ही बूथ संख्या। इससे विश्लेषण करना असंभव हो गया है।”
“चोर के दाढ़ी में तिनका”
तेजस्वी ने तंज कसते हुए कहा, “चोर के दाढ़ी में तिनका है।” उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने साजिश और चालाकी के तहत यह प्रक्रिया चलाई है। हटाए गए मतदाताओं को उनके नाम हटाने का कारण तक नहीं बताया गया। तेजस्वी ने कहा कि उनका डेलिगेशन शुक्रवार को चुनाव आयोग से मिला, लेकिन उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया गया।
“चुनाव आयोग अब ‘गोदी आयोग’ बन चुका है”
तेजस्वी ने सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव आयोग “गुजरात से आने वाले आदेशों” का पालन कर रहा है। उन्होंने कहा, “चुनाव आयोग अब ‘गोदी आयोग’ बन चुका है।” उन्होंने सवाल उठाया कि अघोषित मतदाताओं की प्रक्रिया क्या है और आयोग इस पर चुप्पी क्यों साधे हुए है?
लोकतंत्र पर खतरा
तेजस्वी ने चेतावनी दी कि इस प्रक्रिया से लोकतंत्र खतरे में है। उन्होंने कहा, “ऐसा लगता है कि पहले से ही एक खास पार्टी को सत्ता में लाने की योजना बनाई गई है। यह चुनाव एकतरफा होता दिख रहा है।” उन्होंने मांग की कि सरकार को चुनाव प्रक्रिया पर पुनर्विचार करना चाहिए और निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए समय सीमा बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।
Also Read : बिहार के रेलवे स्टेशनों पर बढ़ेगी सुविधा, ATVM से टिकट लेना होगा आसान