महाराष्ट्र में सियासी संकट : अजीत ने फैसले में देरी के लिए कांग्रेस पर ठीकरा फोड़ा

JoharLive Desk

मुंबई : महाराष्ट्र में बेशक राजनीतिक समीकरण काफी तेजी से बदल रहे हैं लेकिन सरकार बनाने की तस्वीर स्पष्ट नहीं हो पा रही है। मुख्यमंत्री पद के लिए शिवसेना ने भाजपा से अपनी 30 साल पुरानी दोस्ती तोड़ दी। इसके बावजूद भी वह सरकार नहीं बना सकी है। अब राज्यपाल ने सरकार बनाने का न्योता राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को दिया है। जिसे 24 घंटे में सरकार बनाने के लिए समर्थन पत्र सौंपना होगा।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के मुखिया शरद पवार से जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या कांग्रेस की तरफ से देर हो रही है तो उन्होंने कहा, ‘मैं कांग्रेस से बात करूंगा।’ जब उनसे ये पूछ गया कि क्या आज कांग्रेस और एनसीपी के बीच कोई बैठक होने वाली है तो उन्होंने कहा, ‘किसने कहा कि बैठक होने वाली है। मुझे नहीं पता।’
शरद पवार ने जहां महाराष्ट्र संकट को लेकर चुप्पी साध रखी है। वहीं उनके भतीजे अजित पवार का कहना है कि सरकार गठन को लेकर चर्चा हो रही है। उन्हें कांग्रेस की तरफ से पत्र नहीं मिला है। ऐसे में उनके अकेले पत्र देने से कुछ नहीं होगा। हाई कमान से जैसा स्गिनल मिलेगा हम वैसा करेंगे। जो भी फैसला लिया जाएगा, वह एकसाथ लिया जाएगा। सरकार बनाने में हो रही देरी पर अजीत पवार ने कहा कि हम कल कांग्रेस के का इंतजार कर रहे थे, मगर उनकी तरह से कोई जवाब नहीं आया। हम इसका फैसला अकेले नहीं लेंगे। यहां कोई गलतफहमी नहीं है। हमने एक साथ चुनाव लड़ा है और हम साथ हैं।
शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत की तबीयत अचानक खराब हो गई। सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी प्रमुख शरद पवार उनसे मिलने अस्पताल पहुंचे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने केंद्रीय मंत्रिपरिषद से शिवसेना सांसद अरविंद सावंत का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। उनके स्थान पर प्रकाश जावड़ेकर को भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। यह जानकारी आधिकारिक प्रवक्ता ने दी।
मंगलवार को शिवसेना के प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने ट्वीट कर कहा है कि हम होंगे कामयाब। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, ‘लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती’- बच्चन। ‘हम होंगे कामयाब, जरूर होंगे।’
महाराष्ट्र कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संजय निरुपम ने ट्वीट कर कहा, ‘राज्य में सरकार बनाना कांग्रेस की नैतिक जिम्मेदारी नहीं है। अस्थिरता के लिए हम पर किसी भी तरह का दोष लगाना व्यर्थ है। यह भाजपा और शिवसेना की गलती है जिसने राज्य को राष्ट्रपति शासन के दरवाजे पर लाकर खड़ा कर दिया है।’

महाराष्ट्र से कांग्रेस विधायक कागड़ा चांद्या पड़वी ने कहा, ‘प्रक्रिया अभी भी चल रही है, लेकिन अंतिम परिणाम सकारात्मक होगा। निजी तौर पर मेरा मानना है कि तीनों पार्टियों (शिवसेना-कांग्रेस-एनसीपी) को सरकार बनानी चाहिए और शिवसेना के नेता को मुख्यमंत्री पद दिया जाना चाहिए।’
शिवसेना ने राज्य में सरकार बनाने का सपना देखते हुए, अपने अड़ियल रवैये से भारी कीमत चुकाई है। सोमवार सुबह उसके मंत्री अरविंद सावंत ने नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। अब शिवसेना केंद्र सरकार से भी बाहर है और राज्य में भी न उसकी सरकार बन रही है और न ही मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल रही है। उसकी स्थिति माया मिली न राम वाली हो गई है। अब सबकी नजरें इस पर है कि क्या शिवसेना की राहें एनडीए से भी जुदा हो जाएंगी? एनसीपी ने शिवसेना के सामने रविवार को शर्त रखी थी कि अगर वह सरकार बनाने के लिए समर्थन चाहती है तो केंद्र सरकार में उसके मंत्री को इस्तीफा देना होगा और उसे भाजपा से सारे संबंध तोड़ने होंगे।
सोमवार को दिन भर तनाव में दिखने वाले भाजपा नेताओं के चेहरे शाम को शिवसेना के हाथ से खिसकी बाजी के बाद खिल गए। राज्यपाल द्वारा एनसीपी से सरकार बनाने का इरादा जानने के बाद भाजपा ने मंगलवार को टाली हुई अपनी राज्य कोर कमेटी की बैठक आनन-फानन में बुलाई। इस बैठक के बाद भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने मीडिया से कहा कि हम सारे राजनीतिक घटनाक्रम पर बारीक नजर रखे हुए हैं। हम वेट एंड वॉट की भूमिका में है। राज्य की राजनीति को लेकर कोई भी ठोस फैसला समय आन पर करेंगे।