प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में 10 आयुष केंद्रों का किया उद्घाटन, बोले- देश में 1.5 लाख हेल्थ और वेलनेस सेंटर खोलने का लक्ष्य

Joharlive Desk

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के विज्ञान भवन में योग पुरस्कार प्रदान किए। इस मौके पर उन्होंने 10 आयुष केंद्रों का भी उद्घाटन किया। लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि मैं योग का प्रचार करने वालों का सम्मान करता हूं। योग से सुख और समृद्धि आती है। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘देश में फिट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत के अगले ही दिन आयुष और योग से जुड़े कार्यक्रम में आना एक अद्धभुत संयोग है। आयुष और योग फिट इंडिया मूवमेंट के 2 महत्वपूर्ण स्तंभ हैं।
उन्होंने कहा, ‘योग, प्राणायाम और आयुर्वेद इन तीनों का मैं भरपूर उपयोग करता हूं, इन्हीं से मेरी गाड़ी चलती है। आज मुझे योग के साधकों, योग की सेवा करने वालों और दुनिया भरा में योग का प्रचार प्रसार करने वाले साथियों और संगठनों को पुरस्कार देने का मौका मिला है। इनमें देश के साथ साथ इटली और जापान जैसे देशों के लोग और संगठन भी शामिल हैं। पुरस्कार पाने वाले साथियों को मैं बधाई देता हूं।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश में परंपरा ऐसी बनी है कि बड़े-बड़े नाम जो टीवी पर चमकते हों या जो नेता कहे जाते हों, उन्हीं पर डाक टिकट बनते हैं। आयुर्वेद के लिए खप जाने वाले पर भी डाक टिकट बन सकते हैं क्या? यही तो बदलाव हुआ है हिंदुस्तान में। हमारे पास हजारों वर्षों पुराना लिटरेचर है, वेदों में गंभीर बिमारियों से जुड़ें इलाज की चर्चा है लेकिन दुर्भाग्य से हम अपनी पुरातन रिसर्च को आधुनिकता से जोड़ने में इतने सफल नहीं हो पाए और इसी स्थिति को बीतें पांच वर्षों में हमने इसे लगातार बदलने का प्रयास किया है।

उन्होंने आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों को लॉन्च करते हुए कहा कि आयुर्वेद, योग और नेचुरोपैथी, सिद्ध, यूनानी और होम्योपैथी के बाद ‘सोवा- रिग्पा’ आयुष परिवार का छठा सदस्य हो गया है। इस पहल के लिए मैं मंत्री जी और उनके विभाग को बहुत बहुत बधाई देता हूं। आज हरियाणा में आयुष स्वास्थ्य और कल्याण केंद्रों को लॉन्च किया गया है, इसके लिए मैं हरियाणा वासियों को बधाई देता हूं। आज आयुष पद्धिति को समृद्ध करने वाली 12 हस्तियों के सम्मान में डाक टिकट भी जारी हुए हैं। ये वो साथी हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन लोगों के उपचार में लगा दिया। किसी ने योग को माध्यम बनाया तो किसी ने आयुर्वेद को, किसी ने यूनानी से सेवा की तो किसी ने होम्योपैथी से।