Ranchi : झारखंड की पेंचक सिलाट टीम का शुक्रवार को हटिया रेलवे स्टेशन पर भव्य स्वागत हुआ। टीम कर्नाटक के कोपल में आयोजित 13वीं सिंगा, मका, प्रो-टीन सब-जूनियर और जूनियर राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर लौटी है। इस टूर्नामेंट में झारखंड के खिलाड़ियों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 3 रजत (सिल्वर) और 1 कांस्य (ब्रॉन्ज) पदक जीते।
जोरदार स्वागत और उत्साह
हटिया स्टेशन पर खिलाड़ियों के स्वागत के लिए खेल प्रेमी, संघ के पदाधिकारी और अभिभावकों की भीड़ उमड़ी। खिलाड़ियों पर फूलों की वर्षा की गई और ढोल-नगाड़ों के साथ जोरदार नारे लगाए गए। झारखंड की टीम ने विभिन्न वर्गों में बेहतरीन खेल कौशल दिखाकर राज्य का नाम रोशन किया।
मेडल विजेता खिलाड़ी
- आरव गुरुंग : पुरुष वर्ग, प्रो-टीन – रजत पदक
- अंश कुमार : पुरुष वर्ग, मकान – रजत पदक
- अनाया खलखो : महिला वर्ग, मकान – रजत पदक
- अभिउदय राणा : पुरुष वर्ग, प्रो-टीन – कांस्य पदक
कोचिंग और नेतृत्व
टीम का नेतृत्व महिला कोच शबनम मिंज और पुरुष कोच सूरज चिक बड़ाइक ने किया। झारखंड पेंचक सिलाट संघ की सचिव डॉली कुमारी सिंह के मार्गदर्शन में टीम ने शानदार प्रदर्शन किया। स्वागत कार्यक्रम में संघ के अध्यक्ष किशोर मंत्री, चेयरमैन व चीफ टेक्निकल डायरेक्टर विजय कुमार लिम्बु, शिफू बिस्वजीत कर्मकार, दीपा कुमारी, आनंद राणा, देवाशीष थापा, अमरजीत प्रसाद और संदीप लाल समेत कई लोग मौजूद रहे।

संघ पदाधिकारियों का बयान
अध्यक्ष किशोर मंत्री ने कहा कि झारखंड के खिलाड़ी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लगातार बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। उन्होंने खिलाड़ियों को और प्रोत्साहित करने के लिए बेहतर प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध कराने का वादा किया। टेक्निकल डायरेक्टर विजय कुमार लिम्बु ने कहा कि पेंचक सिलाट में बच्चों की रुचि बढ़ रही है और जल्द ही झारखंड से कई अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी उभरेंगे।
खिलाड़ियों में जोश
मेडल विजेता खिलाड़ियों ने इसे गर्व का क्षण बताया और कहा कि वे आगे और मेहनत कर झारखंड व देश का नाम रोशन करेंगे। उन्होंने अपने कोच और संघ का आभार जताया।
प्रेरणा का प्रतीक
छोटे शहरों और कस्बों से निकलकर राष्ट्रीय मंच तक पहुंचने वाले झारखंड के खिलाड़ी यह दिखा रहे हैं कि मेहनत और जुनून से संसाधनों की कमी को पार किया जा सकता है। यह स्वागत समारोह न केवल खिलाड़ियों का सम्मान था, बल्कि झारखंड की उभरती खेल प्रतिभाओं के लिए नई उम्मीद और ऊर्जा का प्रतीक भी बना।
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