Patna : बिहार सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं और ग्राम कचहरियों के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को एक बड़ा अधिकार देने का निर्णय लिया है। अब वार्ड पार्षद, मुखिया, सरपंच, पंच, प्रखंड समिति सदस्य और जिला परिषद सदस्य जैसे पंचायत प्रतिनिधि सुरक्षा कारणों से शस्त्र (हथियार) रखने के लिए लाइसेंस प्राप्त कर सकेंगे।
CM की घोषणा के बाद आया आदेश
CM नीतीश कुमार ने 12 जून 2025 को यह घोषणा की थी कि पंचायत जनप्रतिनिधियों की सुरक्षा के मद्देनजर उन्हें शस्त्र लाइसेंस प्राप्त करने का अवसर दिया जाएगा। इस घोषणा के अनुरूप पंचायती राज विभाग की अनुशंसा पर गृह विभाग ने सभी जिलाधिकारियों (DM) और पुलिस अधीक्षकों (SP) को स्पष्ट निर्देश जारी कर दिए हैं।
प्रक्रिया और नियम
गृह विभाग के आरक्षी शाखा द्वारा जारी पत्र के अनुसार :
- पंचायत प्रतिनिधियों के शस्त्र लाइसेंस आवेदन पर निर्धारित समय सीमा के भीतर सुनवाई और निर्णय किया जाएगा।
- आवेदन की जांच स्थानीय पुलिस, खुफिया रिपोर्ट और अपराध रिकॉर्ड के आधार पर की जाएगी।
- यदि उचित कारण पाया जाता है, तो DM द्वारा लाइसेंस जारी किया जाएगा।
- आयुध अधिनियम 2016 (Arms Act, 2016) के सभी प्रावधानों का पालन किया जाएगा।
- लाइसेंसधारी को शस्त्र के प्रयोग, रखरखाव और नवीनीकरण में कानूनी नियमों का पालन अनिवार्य होगा।
क्यों जरूरी था यह फैसला?
बिहार में पंचायत व्यवस्था के तहत लगभग 2.5 लाख जनप्रतिनिधि कार्यरत हैं। बीते वर्षों में कई पंचायत प्रतिनिधियों को धमकियों, चुनावी रंजिश, भूमि विवादों और सामाजिक तनावों का सामना करना पड़ा है। कुछ मामलों में हमले और हत्याओं की घटनाएं भी हुई हैं। ऐसे में यह निर्णय जनप्रतिनिधियों को आत्मरक्षा का वैध और कानूनी माध्यम प्रदान करता है।
अधिकारियों को दिए गए निर्देश
गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव अरविंद चौधरी ने बताया, “सभी जिलाधिकारियों और पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिए गए हैं कि पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा किए गए शस्त्र लाइसेंस के आवेदनों को नियमित और समयबद्ध तरीके से निष्पादित किया जाए।” पंचायती राज विभाग के सचिव मनोज कुमार ने 18 जून 2025 को गृह विभाग को पत्र लिखकर CM की घोषणा के आलोक में आवश्यक कार्रवाई का अनुरोध किया था।
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