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    Home»जोहार ब्रेकिंग»मध्यप्रदेश हनीट्रैप : वीडियो-ब्लैकमेलिंग से लेकर नौकरशाहों में टकराव तक, पढ़े पूरी कहानी
    जोहार ब्रेकिंग

    मध्यप्रदेश हनीट्रैप : वीडियो-ब्लैकमेलिंग से लेकर नौकरशाहों में टकराव तक, पढ़े पूरी कहानी

    Team JoharBy Team JoharOctober 2, 2019No Comments10 Mins Read
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    Joharlive Desk

    भोपाल : 17 सितंबर को जब मध्यप्रदेश के इंदौर नगर निगम में कार्यरत इंजीनियर हरभजन सिंह ने पलासिया थाने में खुद को ब्लैकमेल किए जाने की एफआईआर दर्ज कराई थी तो उन्हें भी इसका अंदाजा नहीं था कि यह मामला इतना बड़ा बन सकता है। अब जैसे-जैसे मध्यप्रदेश में फैली हनीट्रैप मामले की कहानियां उजागर होनी शुरू हुई है वैसे-वैसे इसमें कई नौकशाह, राजनेता और पत्रकारों की संदिग्ध भूमिका सामने आ रही है।
    अपने एफआईआर में हरभजन सिंह ने दावा किया था कि उन्हें 29 वर्षीय आरती दयाल नाम की एक महिला द्वारा ब्लैकमेल किया जा रहा था। उक्त महिला ने तीन करोड़ रुपये की रंगदारी की मांग की थी और ऐसा न करने पर इंजीनियर के कथित अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी भी दी गई थी।

    पुलिस ने जब जांच शुरू की तब पता चला कि एक गैर सरकारी संगठन ने कथित तौर पर राजनेताओं, नौकरशाहों और कई बड़े रसूखदारों को ब्लैकमेल करने के लिए उनके अश्लील वीडियो बनाए हैं। जिन्हें सार्वजनिक करने की धमकियों के एवज में उनसे जबरन वसूली की जाती थी।

    जांच से जुड़े सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में गिरोह के द्वारा छह वरिष्ठ राजनेताओं और कम से कम 10 आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के अलावा सिविल इंजीनियरों और बिल्डरों को लालच दिया गया था। इनमें से कुछ से वसूली करने की भी खबरें हैं। हालांकि, इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।

    इस मामले में पुलिस ने भोपाल की संदिग्ध मास्टरमाइंड श्वेता स्वप्निल जैन सहित पांच महिलाओं और एक पुरुष को गिरफ्तार किया गया है। जबकि इनके वकीलों ने दावा किया है कि इस मामले को जबरन गढ़ा गया है, वहीं आरोप लगाया गया कि पुलिस ने एक संदिग्ध को हिरासत में यातना भी दी है।

    इस बीच, मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में दायर एक याचिका में इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की गई है। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे मध्यप्रदेश की नौकरशाही और राजनीति में उथल-पुथल मचती दिख रही है। भाजपा और कांग्रेस भी मामले को लेकर एक दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं।
    हनीट्रैप की सूत्रधार श्वेता विजय जैन, आरती से बनवाती थी वीडियो
    हनीट्रैप कांड की मुख्य आरोपी श्वेता विजय जैन अफसर और नेताओं से दोस्ती गांठकर आरती से दोस्ती करवा देती थी। आरती उन्हें जाल में फंसा कर वीडियो बना लेती थी। फिर श्वेता के इशारे पर रुपये वसूलने का काम होता था। इंजीनियर हरभजन के लिए भी इसी तरह जाल बिछाया गया था।

    एमपी पुलिस के अनुसार, आरती दयाल उर्फ आरती सिंह उर्फ ज्योत्सना ने पूछताछ में बताया कि गिरोह की मुखिया श्वेता विजय जैन है। उसकी हरभजन सिंह से करीब 10 साल पुरानी दोस्ती है। इसके बदले वह अपने भाई राजा के लिए सरकारी ठेके लेती थी। श्वेता ने हरभजन से आरती से मुलाकात करवा दी। श्वेता को दोनों की नजदीकी का पता था, लेकिन आरती ने हरभजन को बताया कि दोस्ती के बारे में श्वेता को जानकारी नहीं मिलनी चाहिए।

    पुलिस के अनुसार इंजीनियर हरभजन भी ठेके दिलाने का वादा कर संबंध बनाते रहे। वीडियो बनने के बाद आरती ने श्वेता को बताया। योजना के मुताबिक आरती ने हरभजन को कॉल कर 3 करोड़ रुपये मांगे। हरभजन ने उससे कहा कि उसके पास 3 करोड़ रुपये नहीं हैं।

    आरती ने श्वेता को कॉल कर कहा कि वह रकम कम करने को बोल रहा है। श्वेता के कहने पर आरती ने हरभजन को 2 करोड़ रुपये देने का कहा और बैठक से रवाना हो गई। अंत तक हरभजन को यह पता नहीं था कि इस मामले में श्वेता भी शामिल है।
    आरोपियों के मीडिया के सामने बयान देने से घबराई पुलिस
    हनीट्रैप मामले में आरोपी आरती और बरखा ने इंदौर के एमवाय अस्पताल में मेडिकल के दौरान मीडिया के सामने पुलिस की कार्य प्रणाली पर सवाल उठाए थे और कई बड़े लोगों पर साजिश में शामिल होने का आरोप भी लगाया था। जिसके बाद एसआईटी ने पुलिस अफसरों ने फटकार लगाई और जांच की गोपनीयता को और बढ़ा दिया है। आरोपियों के मीडिया से किसी भी प्रकार की चर्चा करने पर भी पाबंदी लगा दी गई है।

    जांच प्रभावित करने के लिए टकराव को हवा दे रहे नौकरशाह

    हनीट्रैप मामले की एसआईटी जांच को प्रभावित करने के लिए नौकरशाह कथित तौर पर दिन-रात एक किए हुए हैं। पहले इस जांच को राजनीतिक रंग देने की कोशिश की गई और कहा गया कि इसमें कई वरिष्ठ राजनेता भी संलिप्त हैंस लेकिन जब उनका यह पैंतरा काम नहीं किया तो अब प्रदेश के वरिष्ठ नौकरशाहों में टकराव कराने की कोशिश कराकर जांच प्रभावित करने का प्रयास किया जा रहा है।

    हनीट्रैप मामले में की प्रारंभिक पूछताछ में कई नेता और अफसरों के नामों की चर्चा थी। इसी कारण डीजीपी वीके सिंह ने एसआईटी का गठन किया। लेकिन, विवादों को टालने के लिए नौ दिनों के अंदर ही इस टीम के प्रमुख को तीसरी बार बदल दिया गया।

    23 सितंबर को गठित एसआईटी की जिम्मेदारी सबसे पहले पहले 1997 बैच के आईपीएस डी श्रीनिवास वर्मा को दी गई। लेकिन, गठन के 24 घंटे के अंदर ही एसआईटी की जिम्मेदारी तेजतर्रार अफसरों में शुमार एडीजी संजीव शमी को दी गई। एक अक्तूबर को संजीव शमी को एसआईटी प्रमुख के पद से हटाकर अब राजेंद्र कुमार को एसआईटी जांच की कमान सौंपी गई है।

    मददगार तीन पुलिसकर्मियों पर केस दर्ज

    हनीट्रैप में आरोपियों की मदद करने वाले तीन पुलिसकर्मियों पर क्राइम ब्रांच ने अड़ीबाजी का केस दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया है। ये पुलिसकर्मी आरोपी लड़कियों के इशारे पर लोगों से रुपये देने का दबाव बनाते थे। तीनों पुलिसकर्मियों की पहचान सुभाष गुर्जर, अनिल जाट और लाड़ सिंह के रूप में हुई है। इस मामले में टीम ने नौ लड़कियों, आठ ग्राहक और तीन दलालों को बुधवार को ही गिरफ्तार कर लिया था।

    सरकारी गवाह नहीं बनेगी आरती

    पुलिस ने बताया कि वह आरती को अपना गुनाह कबूल करने के बाद सरकारी गवाह नहीं बनाएगी। हालांकि पुलिस ने पहले ही एक छात्रा को सरकारी गवाह बना लिया है। छात्रा को इंदौर की पलासिया थाना पुलिस अपने साथ लेकर भोपाल लेकर पहुंची है।

    आरोपियों के बैंक खाते सील करने की तैयारी

    हनीट्रैप गैंग की चारों महिला आरोपियों के बैंक खाते सीज करने के लिए पुलिस ने भोपाल की बैंकों को पत्र लिखे हैं। पुलिस के अनुसार, अभी उनके पांच खातों की जानकारी ही मिल सकी है। एक टीम चारों महिलाओं की वैध और अवैध संपत्तियों की जानकारी जुटा रही है। वहीं, पुलिस को पांच कंपनियों और कुछ एनजीओ के नामों की जानकारी भी मिली है जो आरोपियों के द्वारा संचालित किए जा रहे थे।
    कॉलेज की छात्राओं को भेजा जाता था अफसरों के पास
    हनीट्रैप की मुख्य आरोपी श्वेता विजय जैन ने पूछताछ में एसआईटी को बताया है कि मध्यवर्गीय परिवार से आने वाली 20 से अधिक छात्राओं को अफसरों के पास भेजा गया। श्वेता ने इस बात का भी खुलासा किया है कि हनी ट्रैप का मुख्य उद्देश्य सरकारी ठेके, एनजीओ को फंडिंग करवाना और वीआईपी लोगों को टारगेट करना था। श्वेता ने बताया कि कई बड़ी कंपनियों को ठेके दिलवाने में मदद की। इस काम में उसकी साथी रही आरती दयाल ने भी अहम भूमिका निभाई।

    इसके अलावा श्वेता ने एसआईटी को बताया कि आईपीएस और आईएएस अफसरों की डिमांड पर कॉलेज की छात्राओं को उनके पास भेजा जाता था। इन अधिकारियों में कई तो उन छात्राओं की पिता की उम्र के बराबर थे। श्वेता ने मोनिका यादव नाम की छात्रा का भी नाम लिया।

    मोनिका ने एसआईटी को बताया कि श्वेता ने उसे नामी

    कॉलेज में दाखिला करवाने में मदद के नाम पर ऐसा करने के लिए कहा था। श्वेता के बड़े अफसरों से खास संबंध थे। मुझे विश्वास दिलाने के लिए वह मंत्रालय भी लेकर गई थी। जहां उसने सचिव स्तर के तीन आईएएस अफसरों से मिलवाया। पूछताछ के दौरान यह भी पता चला कि श्वेता ने मोनिका को लग्जरी कार ऑडी भी इंदौर-भोपाल आने जाने के लिए दी थी।

    एसआईटी को लेकर एमपी पुलिस में खींचतान, आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी

    हनीट्रैप मामले की जांच कर रही एसआईटी को लेकर एमपी पुलिस के स्पेशल डीजी साइबर क्राइम और एसटीएफ पुरुषोत्तम शर्मा ने खुलकर प्रदेश पुलिस के मुखिया वीके सिंह पर निशाना साधा था। उन्होंने पत्रकार वार्ता में कहा था कि जांच के लिए गठित एसआईटी के सुपरविजन से डीजीपी को हटाया जाए। जिसके बाद कार्रवाई करते हुए सरकार ने उनका तबादला कर संचालक, लोक अभियोजन संचालनालय बना दिया है।

    एसआईटी की नजर कई अधिकारियों पर

    हनीट्रैप मामले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) की नजर मध्यप्रदेश के कई आईएएस अफसरों पर है। इनमें से एक अधिकारी आरोपी के घर भी देखे गए थे। माना जा रहा है कि टीम जल्द ही उनसे सवाल-जवाब कर सकती है।

    वीडियो बनाने के लिए आरोपियों ने लिपस्टिक और चश्मों को बनाया था हथियार

    पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस मामले में पकड़ी गईं आरोपियों ने अश्लील वीडियो तैयार करने के लिए स्वदेशी तरीकों से लिपस्टिक, चश्मों और यहां तक सामान्य मोबाइल में छिपाए गए कैमरों का इस्तेमाल किया था। इसी कारण उनके वीडियो बनाने का कभी किसी को शक नहीं हुआ।

    इन सभी के कब्जे से हाईप्रोफाइल लोगों की सैकड़ों

    आपत्तिजनक वीडियो क्लिप बरामद की गई थीं। इंदौर की एसएसपी रुचि वर्द्धन मिश्रा ने आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद मीडिया को इनके पास से स्पाई कैमरे भी बरामद होने की जानकारी दी थी, लेकिन इन कैमरों का ब्योरा अभी तक नहीं दिया गया था।

    मामले की जांच से जुड़े सूत्रों ने इन स्पाई कैमरों का ब्योरा दिया। हालांकि इसकी पुष्टि करने के लिए मिश्रा या उनके साथ जांच में सहयोग कर रहे क्राइम ब्रांच के अपर पुलिस अधीक्षक अमरेंद्र सिंह से संपर्क के प्रयास रविवार को सफल नहीं हो सके।

    गाजियाबाद में सायबर सेल के फ्लैट पर भी बवाल

    मध्यप्रदेश पुलिस की सायबर सेल ने गाजियाबाद के पॉश इलाके में बिना सरकारी मंजूरी के फ्लैट ले रखा था। पुलिस महानिदेशक वीके सिंह ने इस मामले की जानकारी होने के बाद कई वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को फटकारा था और पूछा था कि इतनी दूर सायबर सेल के लिए फ्लैट लेने का क्या कारण था। इसके बाद हरकत में आई पुलिस ने आनन-फानन में सायबर सेल से फ्लैट खाली करवा लिया।

    सूत्रों के अनुसार, मध्यप्रदेश पुलिस की सायबर सेल ने सरकारी कामकाज के नाम पर दिल्ली से सटे गाजियाबाद जिले के एक पॉश इलाके में किराये का फ्लैट लिया हुआ था। जांच शुरू हई तो सवाल उठा कि फ्लैट दिल्ली से दूर वो भी बिना शासकीय अनुमति के क्यों लिया गया।

    आरोपी महिला ने काटी कलाई, पुलिस पर लगाया प्रताड़ना का आरोप

    मामले की एक आरोपी महिला ने पुलिस हिरासत में कांच से कलाई काटने का प्रयास किया। पीड़िता के वकील ने पुलिस की प्रताड़ना से तंग आकर अपनी मुवक्किल द्वारा यह कदम उठाने का आरोप लगाया है। लेकिन, जिला अभियोजन अधिकारी ने किसी भी महिला के घायल होने से इनकार करते हुए इसे दबाव बनाने की रणनीति करार दिया है।

    रिमांड पूरी होने के बाद जेल भेजे गए आरोपी

    पुलिस ने रिमांड पूरा होने के बाद श्वेता स्वप्निल जैन (48), श्वेता विजय जैन (39), आरती दयाल (29), मोनिका यादव (19) और बरखा सोनी (34) को मंगलवार को जुडिशियिल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास (जेएमएफसी) मनीष भट्ट की अदालत में पेश किया था।

    अदालत ने पांचों को न्यायिक हिरासत में भेजने का आदेश दिया। अदालत के बाहर श्वेता विजय जैन के वकील धर्मेंद्र गुर्जर ने मीडिया के सामने आरोप लगाया कि पूछताछ के दौरान पुलिस ने उनकी मुवक्किल के साथ बुरी तरह मारपीट की है।

    हालांकि जिला अभियोजन अधिकारी मोहम्मद अकरम शेख ने वकील के आरोपों को झूठा करार दिया। शेख ने कहा कि पुलिस रिमांड के दौरान किसी भी आरोपी को शारीरिक तौर पर टार्चर नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि पांचों आरोपियों को मेडिकल परीक्षण के बाद अदालत के सामने पेश किया गया है।

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