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    Home»जोहार ब्रेकिंग»देर से अस्पताल जाने पर कोविड केस हो सकते हैं खतरनाक, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
    जोहार ब्रेकिंग

    देर से अस्पताल जाने पर कोविड केस हो सकते हैं खतरनाक, पढ़ें पूरी रिपोर्ट

    Team JoharBy Team JoharMay 6, 2020No Comments4 Mins Read
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    Joharlive Desk

    नयी दिल्ली। कोरोना संक्रमण(कोविड-19) के 90 से 95 प्रतिशत मरीज ठीक हो जाते हैं लेकिन इस समय सबसे बड़ी समस्या यह है कि ऐसे रोगी काफी देर के बाद अस्पताल पहुंचते हैं जिससे यह वायरस जानलेवा बन जाता है।

    चिकित्सकों के मुताबिक मरीजों के देर से सामने आने से उनका मामला बिगड़ता है और इसके 80 प्रतिशत मामले बहुत हल्के लक्षणों वाले होते हैं तथा 15 प्रतिशत मामलों में चिकित्सा सपोर्ट तथा ऑक्सीजन और पांच प्रतिशत मामलों में आईसीयू और एंव वेंटीलेटर की आवश्यकता पड़ती है। इसलिए कोरोना के मरीजों का पता लगते ही उन्हें चिकित्सकीय सुविधा दिए जाने की जरूरत है। अगर किसी का टेस्ट पहले हो चुका है तो उसे तुरंत अस्पताल जाकर उपचार कराना चाहिए।

    राहत की एक और बात यह है कि संक्रमितों की मृत्यु दर 3.2 फीसदी पर ही बनी हुयी है जो पहले की तुलना में बेहद मामूली वद्धि मानी जा सकती है। पहले संक्रमितों की मृत्यु दर 3.1 प्रतिशत था। सोमवार को मरीजों के ठीक होने की दर बढ़कर 27.45 फीसदी से अधिक हो गयी जबकि रोगियों की मृत्यु दर दशमलव एक वृद्धि के साथ 3.2 प्रतिशत हो गयी।

    अब तक दूसरी सकारात्मक बात यह रही है कि हमारे देश में “आउटकम रेश्यो” में इजाफा हुआ है यानी जितने मामले आए थे और उनमें से कितने लोग ठीक हुए हैं और कितनों की मौत हुई है, वह अब बढ़कर 90:10 हो गया है और 17 अप्रैल माह को यह 80:20 था, जो दर्शाता है कि हमारी चिकित्सकीय क्षमता में इजाफा हुआ है। इससे यह साबित होता है कि देश में कोरोना वायरस को लेकर की गई तैयारियां सहीं दिशा में हैं और हम किसी भी तरह की आपात स्थिति से निपट सकते हैं।

    इस समय कोरोना वायरस को लेकर लोगों में दहशत और भय का माहौल है लेकिन उन्हें सामने आने तथा इलाज कराने के लिए प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता है तभी लोगों का जीवन बचाया जा सकता है।

    देश में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामले दोगुने होने की दर बढ़कर अब 12 दिन हो गई है जो कोरोना वायरस के संक्रमण को नियंत्रित करने के केन्द्र सरकार के प्रयासों की सफलता को दर्शाता है। मार्च में लॉकडाउन से पहले यह दर 3़ 2 दिन थी।

    स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में इस समय 130 हॉटस्पॉट जिले, 284 गैर-हॉटस्पॉट जिले और 319 गैर-संक्रमित जिले हैं। इन जिलों को ग्रीन, ऑरेंज एवं रेड जोन में विभाजित किया गया है और भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार ही इन्‍हें खोला जाएगा।

    देश में अभी तक 10 लाख से भी अधिक टेस्टिंग (परीक्षण) का आंकड़ा पार हो चुका हैं और वर्तमान में एक दिन में 74,000 से अधिक टेस्टिंग हो रही हैं। भारत दुनिया के अन्य देशों की तुलना में बेहतर स्थिति में है और पूरे देश में विशेष कोविड अस्पतालों और विशेष कोविड स्वास्थ्य केंद्रों में मौजूद 2.5 लाख से भी अधिक बेड की बदौलत किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने में सक्षम है।

    इस समय देश में 111 निजी और 315 सरकारी क्षेत्र की प्रयोगशालाएं कोरोना की जांच में लगी हुई हैं और एक मई को 74500 टेस्ट हुए थे, देश में कोरोना वायरस के मामले आने शुरू होने के समय प्रयोगशालाओं की संख्या 100 थी। इस समय कोरोना संकट से निपटने के लिए डीबीटी, आईसीएमआर, आईसीएआर, सीएसआईआर, डीएसटी, डीआरडीओ और देश के विभिन्न मेडिकल कालेज तथा निजी क्षेत्रोें के संस्थान आगे आ रहे हैं।

    देश में कोरोना वायरस के मरीजों की संख्या में बढ़ोत्तरी तो हो रही है लेकिन अभी तक हम सामुदायिक संक्रमण की स्टेज में नहीं आए हैं और यह सब पहले से की गई तैयारी और पहले चरण के लाॅकडाउन तथा सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंसिंग) का ही नतीजा है।

    भारत में अभी सामुदायिक संक्रमण का दौर शुरू नहीं हुआ है और कईं क्षेत्रों में यह स्थानीय स्तर पर देखने को मिला है तथा इसे “क्लस्टर आउटब्रेक’ कहा जाता है। इन क्षेत्रों में मामलों को पता चलते ही तुरंत मामलों को गंभीरता से लिया जाता है और पूरे क्षेत्र के लिए ‘कंटेनमेंट प्लान’ बनाकर उस क्षेत्र को घेर लिया जाता है और इसके आसपास के क्षेत्र यापी “ बफर जोन पर पूरी नजर रखी जाती है और इसमें रहने वाले सभी लोगों के घर घर का सर्वेक्षण किया जाता है और लोगों के खांसी, जुकाम , बुखार तथा सांस लेने में दिक्कतें जैसी समस्याओं के बारे में आंकड़े जुटाए जाते हैं।

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