झारखंड जल्द ही कालाजार मुक्त राज्य बनेगा : अजय कुमार सिंह

रांची: बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, और पश्चिम बंगाल में कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम की प्रगति को समझने के लिए रांची में अजय कुमार सिंह प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग की अध्यक्षता में तीन दिवसीय समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया है. इस अवसर पर राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीवीबीडीसी) स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग भारत सरकार की निदेशक डॉ. तनु जैन, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन झारखंड के अभियान निदेशक आलोक त्रिवेदी, झारखंड के निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य डॉ. सीके साही, झारखंड के वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम पदाधिकारी डॉ बिरेन्द्र कुमार सिंह एवं अन्य सहयोगी संस्थाओं के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे. राज्य के प्रधान सचिव स्वास्थ्य ने कहा कि कालाजार जो लगभग 20 से 30 साल पहले एक बड़ी समस्या थी. सरकार के दिशा-निर्देश पर राज्य में कालाजार रोग के उन्मूलन के लिए ग्राम स्तर तक किये गए सार्थक प्रयासों का परिणाम है कि राज्य में वर्ष 2023 में सभी जिलों ने कालाजार उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त कर लिया है. हमें इस स्थिति को बनाए रखना है यानि सस्टेन करना है, जो अंत्यन्त आवश्यक है. इसके लिए रणनीति बनाया जाना महत्वपूर्ण है.

एआई की ली जाएगी मदद

उन्होंने कहा कि कालाजार से सम्बंधित जानकारी और इससे बचने के उपायों को आबादी के अंतिम पायदान तक ले जाना है. हम AI (आर्टिफिशल इंटेलिजेंस) के माध्यम से कालाजार की स्थिति को बेहतर तरीके से जान सकते हैं. इस बैठक में जो भी सुझाव आयेंगे, उन्हें कालाजार उन्मूलन की रणनीति में शामिल किया जायेगा. एक बात और, कालाजार प्रभावित क्षेत्रो के कच्चे मकानों में पाये जाने वाली दरारों को प्लास्टर के माध्यम से भरने का प्रयास किया जायेगा. जिससे बालू मक्खी के प्रजनन को रोका का सके. उन्होंने कहा कि अगले 3 साल बहुत महत्वपूर्ण हैं- डोजियर बनाया जाएगा और इस पर चर्चा की जाएगी.

बालू मक्खियों के प्रजनन को नियंत्रित करें

निदेशक एनसीवीबीडीसी, भारत सरकार, डॉ. तनु जैन ने कहा कि, “सभी राज्यों ने कालाजार उन्मूलन के लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में जो प्रगति की है वह प्रशंसनीय है. मगर इस स्थिति को ऐसे ही बनाए रखना आवश्यक है. जिससे विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा देश को कालाजार मुक्त घोषित किया जा सके. इसके लिए बहुत महत्वपूर्ण है कि कालाजार प्रभावित क्षेत्रों में बालू मक्खियों के प्रजनन को नियंत्रित करें और सभी प्रखंडों में प्रति 10000 की आबादी पर 1 से कम कालाजार के केसेस की स्थिति को बनाए रखे. राज्य के अभियान निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन आलोक त्रिवेदी ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा कालाजार उन्मूलन के लक्ष्य को पूरी तरह प्राप्त करने के लिए सुनियोजित कार्य योजना बनाकर कालाजार से प्रभावित गांवों के हर घर में कीटनाशी छिड़काव (आईआरएस) सुनिश्चित किया जा रहा है. जिससे बालू मक्खी का खात्मा कर इस रोग के प्रसार को रोका जा सके.

पोलियो की तरह कालाजार भी खत्म होगा

निदेशक प्रमुख स्वास्थ्य सेवाएँ झारखंड, डॉ सी के. साही ने कहा कि कालाजार उन्मूलन मोड में है. किसी भी बीमारी के लिए बीमारी के कारण और उसके प्रसार को समझना आवश्यक है. इसलिए हमें कालाजार के संचरण को समझने की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि जैसे हमने चेचक, पोलियो को खत्म किया है, वैसे ही हम कालाजार को भी खत्म करेंगे. इसके लिये राज्य और जिला स्तर से हर संभव प्रयास किये जा रहे हैं. दुमका जिले में 2023 में कालाजार के नियंत्रण के क्षेत्र में सफलता एवं उपलब्धियों से संबंधित सफल कहानियों की पुस्तिका का इस अवसर पर प्रधान सचिव द्वारा विमोचन भी किया गया. उपरोक्त समीक्षा बैठक के पहले दिन कालाजार प्रभावित राज्यों द्वारा कालाजार उन्मूलन की यथास्थिति बनाए रखने के लिए किये जा रहे प्रयासों को भी प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया गया.

ये रहे मौजूद

कार्यक्रम में डॉ संबित प्रधान, एचओडी कालाजार, एनसीवीबीडीसी, भारत सरकार, द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया. कार्यशाला में डॉ कृष्ण पाण्डेय, निदेशक आरएमआरआई, डॉ बदरी थापा, टीम लीड कम्यूनकेशन डिजीज, विश्व स्वास्थ्य संगठन, प्रो. श्याम सुंदर, इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू), राज्यों के क्षेत्रीय निदेशक, एनसीवीबीडीसी, भारत सरकार और झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं बिहार राज्य के स्वास्थ्य पदाधिकारी और सहयोगी संस्थाओं यथा- आईसीएमआर, विश्व स्वास्थ्य संगठन, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज (जीएचएस), प्रोजेक्ट कंसर्न इंटरनेशनल (पीसीआई),पाथ, पीरामल स्वास्थ्य एवं डब्लू.जे.सी.एफ. के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.