Ranchi : झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सख्त निर्देश दिया है कि 2026 तक झारखंड शिक्षक पात्रता परीक्षा (जेटेट) आयोजित की जाए। कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जब तक जेटेट का आयोजन और परिणाम नहीं आ जाता, तब तक शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं होगी।
9 साल से नहीं हुई जेटेट, कोर्ट नाराज
जस्टिस आनंद सेन की अदालत में जेटेट में देरी को लेकर दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने शिक्षा सचिव को हाजिर होने का आदेश दिया था, जो गुरुवार को कोर्ट में उपस्थित हुए। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने 2016 के बाद से 9 साल तक जेटेट न होने पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि नियमों का पालन जरूरी है और जेटेट शिक्षक नियुक्ति की प्रक्रिया का अहम हिस्सा है।
401 उम्मीदवारों की याचिका
हरिकेष महतो सहित 401 उम्मीदवारों ने जेटेट को लेकर याचिका दायर की थी। उनके वकील अपराजिता भारद्वाज और कुशाल कुमार ने कोर्ट में दलील दी कि 2016 में जेटेट पास करने वालों की वैधता आजीवन है, लेकिन इसके बाद से परीक्षा ही नहीं हुई। बिना जेटेट के 26,001 प्रशिक्षित सहायक आचार्यों की नियुक्ति के लिए प्रतियोगिता परीक्षा आयोजित की गई, जो गलत है।

अभ्यर्थियों के अधिकारों का हनन
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि शिक्षक बनने के लिए जेटेट पास करना अनिवार्य है। 9 साल तक परीक्षा न होने से अभ्यर्थी सहायक आचार्य की परीक्षा में शामिल नहीं हो सके, जिससे उनके मौलिक अधिकारों का हनन हुआ। यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है।
कोर्ट का सवाल : क्यों नहीं हुई परीक्षा?
कोर्ट ने सरकार से पूछा कि 2016 के बाद जेटेट क्यों नहीं हुआ। याचिकाकर्ताओं ने बताया कि बिना जेटेट के नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करना गलत है। कोर्ट ने सरकार को जल्द से जल्द जेटेट आयोजित करने और तब तक नियुक्तियां रोकने का आदेश दिया।
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