Ranchi/Sahebganj : साहिबगंज के रसूलपुर दहला निवासी जामुन दास की जिंदगी पिछले दो साल से संघर्षों से भरी रही। उनका बेटा एक हादसे में अपने दोनों पांव खो बैठा था। घटना उस वक्त हुई जब बरहरवा रेलवे स्टेशन पर ट्रेन की चपेट में आने से बच्चे के दोनों पैर कट गए। तब से जामुन दास सरकारी दफ्तरों और अस्पतालों के चक्कर काट रहे थे। कभी किसी बाबू की डांट तो कभी अधिकारियों की उदासीनता, लेकिन उनके बेटे के लिए आर्टिफिशियल पांव का इंतज़ाम नहीं हो सका।
दो साल से चली इस बेबसी की कहानी का मोड़ तब आया जब अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष और कांग्रेस नेता शमशेर आलम साहिबगंज दौरे पर पहुंचे। कांग्रेस संगठन सृजन अभियान के तहत सात दिवसीय कार्यक्रम में आलम जब लोगों से रूबरू हो रहे थे, तभी जामुन दास अपने बेटे के साथ उनके सामने पहुंचे। आंसुओं से भरी आंखों और कांपती आवाज़ में उन्होंने अपनी पीड़ा सुनाई… “दो साल से दर-दर की ठोकरें खा रहा हूं, लेकिन कोई मेरी सुनने वाला नहीं है।”
जामुन दास की यह दास्तान सुनकर शमशेर आलम ने तुरंत संज्ञान लिया। उन्होंने झारखंड सरकार के संबंधित विभाग को पत्र लिखकर आदेश दिया कि 24 घंटे के भीतर बच्चे को आर्टिफिशियल पांव, व्हीलचेयर और अन्य ज़रूरी उपकरण उपलब्ध कराए जाएं। आदेश के बाद जैसे ही जामुन दास अपने बेटे को लेकर रांची पहुंचे, महज 2 घंटे के भीतर ही सारे सामान उपलब्ध करा दिए गए।
यह तेज कार्रवाई देखकर जामुन दास की आँखों में राहत और कृतज्ञता छलक आई। उन्होंने भावुक होकर कहा… “मेरे बेटे के लिए शमशेर आलम फरिश्ता साबित हुए। दो साल से जो काम नहीं हो सका, वो उन्होंने चंद घंटों में कर दिया।”
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