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    Home»देश»2024 में साइबर अपराधियों ने भारत से चुराए ₹23,000 करोड़…
    देश

    2024 में साइबर अपराधियों ने भारत से चुराए ₹23,000 करोड़…

    Bhumi SharmaBy Bhumi SharmaAugust 1, 2025No Comments4 Mins Read
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    Johar Live Desk: 2024 में भारत में डिजिटल धोखाधड़ी के मामलों में तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है। दिल्ली की मीडिया-टेक कंपनी DataLEADS की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले साल साइबर अपराधियों ने भारत में लोगों से ₹22,842 करोड़ की ठगी की। यह राशि 2023 के ₹7,465 करोड़ से लगभग तीन गुना और 2022 के ₹2,306 करोड़ से करीब दस गुना ज़्यादा है।

    भारतीय साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर (I4C) का अनुमान है कि 2025 में यह आंकड़ा ₹1.2 लाख करोड़ को पार कर सकता है, जो चिंता का विषय है।

    साइबर क्राइम की शिकायतों की संख्या में भी तेज़ बढ़ोतरी देखी गई है। 2024 में करीब 20 लाख शिकायतें दर्ज की गईं, जबकि 2023 में यह संख्या 15.6 लाख थी। 2019 की तुलना में यह लगभग 10 गुना ज़्यादा है।

    इस बढ़ोतरी की प्रमुख वजह है डिजिटल भुगतान का बढ़ता चलन। यूपीआई, पेटीएम, फोनपे जैसे ऐप्स के ज़रिए लेन-देन आम हो गया है। लोग अब व्हाट्सऐप और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर भी अपने वित्तीय विवरण साझा करते हैं।

    सिर्फ जून 2025 में भारत में 190 करोड़ से अधिक यूपीआई ट्रांजैक्शन हुए, जिनका कुल मूल्य ₹24.03 लाख करोड़ था। 2013 में डिजिटल पेमेंट का मूल्य ₹162 करोड़ था, जो जनवरी 2025 में बढ़कर ₹18,120 करोड़ हो गया। भारत आज दुनिया के कुल डिजिटल भुगतान का लगभग आधा हिस्सा अकेले करता है।

    कोविड-19 महामारी के दौरान सरकार ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दिया, जिससे गांवों और कस्बों तक यह सुविधा पहुंची। लेकिन जैसे-जैसे डिजिटल भुगतान का दायरा बढ़ा, वैसे-वैसे साइबर अपराधियों की संख्या और तकनीक भी बढ़ती गई।

    अब धोखाधड़ी केवल सीमित नहीं है, बल्कि बैंकिंग, बीमा, हेल्थकेयर और रिटेल जैसे सभी क्षेत्रों को प्रभावित कर रही है। अपराधी अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीपफेक वीडियो का उपयोग करके लोगों का विश्वास जीतते हैं।

    भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली छमाही में बैंक फ्रॉड मामलों में आठ गुना वृद्धि हुई है। धोखाधड़ी से ₹2,623 करोड़ से बढ़कर ₹21,367 करोड़ की राशि खोई गई।

    लगभग 60% मामले निजी बैंकों से जुड़े थे, लेकिन सबसे ज़्यादा नुकसान सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक ग्राहकों को हुआ, जिन्होंने कुल ₹25,667 करोड़ गवाएं।

    बीमा क्षेत्र में भी धोखाधड़ी बढ़ रही है। जीवन, स्वास्थ्य, वाहन और सामान्य बीमा योजनाओं के नाम पर लोगों को ऐप्स या मैसेज के ज़रिए ठगा जा रहा है। धोखेबाज़ अक्सर HDFC, कोटक, श्रीराम जैसी प्रसिद्ध कंपनियों का नाम और लोगो इस्तेमाल करते हैं।

    इन्वेस्टमेंट फ्रॉड भी तेजी से फैल रहा है, जहां लोगों को झूठे मुनाफे का लालच देकर फंसाया जाता है। कई बार पढ़े-लिखे लोग भी इन स्कीमों का शिकार बन जाते हैं।

    कुछ आम डिजिटल फ्रॉड हैं – नकली मैसेज जो लॉटरी या रिफंड का झांसा देते हैं, फर्जी शॉपिंग साइट्स जो सस्ते दाम में उत्पाद बेचने का दावा करती हैं, और भुगतान सत्यापन के नाम पर भेजे गए लिंक जिनसे आपके डिवाइस में मालवेयर आ सकता है या आपका बैंक डेटा चोरी हो सकता है।

    इनमें सबसे ज़्यादा ठगी व्हाट्सऐप पर की जाती है। जनवरी 2024 में व्हाट्सऐप पर 15,000 से ज़्यादा साइबर अपराध की शिकायतें दर्ज हुईं। फरवरी और मार्च में भी यही आंकड़ा बना रहा। टेलीग्राम, इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म भी साइबर धोखाधड़ी में शामिल हैं।

    एक बड़ी समस्या यह भी है कि सोशल मीडिया कंपनियां खुद को “पब्लिशर” नहीं बल्कि “प्लेटफॉर्म” मानती हैं, जिससे वे यूज़र्स की गतिविधियों की ज़िम्मेदारी नहीं लेतीं। साथ ही अब ये कंपनियां फैक्ट-चेकिंग और कंटेंट मॉडरेशन को भी कम कर रही हैं।

    सरकार ने इन कंपनियों को जवाबदेह बनाने के लिए कानून बनाए हैं, लेकिन इन्हें सही से लागू करने की ज़रूरत है।

    भारत की डिजिटल तरक्की ने आम लोगों को सशक्त किया है, लेकिन इसके साथ ही साइबर अपराध का खतरा भी बढ़ गया है। जब तक कड़ी निगरानी, कड़े कानून और आम लोगों में डिजिटल जागरूकता नहीं लाई जाती, तब तक ये खतरा लगातार बढ़ता रहेगा।

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