New Delhi : दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई जल्द शुरू की जाएगी। सरकार चाहती है कि इस मामले में विपक्ष को भी साथ लेकर चलना जाए और राजनीतिक सहमति बनाई जाए। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू इस सहमति बनाने की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं। उन्होंने कहा है कि यह राजनीतिक मामला नहीं है, बल्कि न्यायपालिका से जुड़ा गंभीर मुद्दा है, जिस पर सभी को मिलकर फैसला करना चाहिए।
करीब एक महीने पहले पूर्व चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ तीन जजों की जांच टीम की रिपोर्ट पीएम और राष्ट्रपति को सौंप दी थी। इस जांच में जस्टिस वर्मा को दोषी पाया गया था। इसी आधार पर रिपोर्ट पीएम और राष्ट्रपति को भेजी गई है। 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के सरकारी आवास में आग लग गई थी। उस समय वहां बड़ी मात्रा में नकदी मिली थी, जिसमें से कुछ जल भी गई। इस बड़े कैश भंडार के मिलने के बाद सवाल उठे थे, जिसके कारण चीफ जस्टिस ने जांच कराई थी। इसके बाद जस्टिस वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट कर दिया गया।
इस मामले में कार्रवाई शुरू करने से पहले होम मिनिस्टर अमित शाह और कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इस मीटिंग में महाभियोग की प्रक्रिया पर चर्चा हुई। इसके अलावा भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और अमित शाह ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ से भी बात की। इसके बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने विपक्ष के नेताओं से संपर्क किया है। हालांकि राज्यसभा और लोकसभा में एनडीए के पास बहुमत है, सरकार चाहती है कि इस मामले में सर्वसम्मति से फैसला लिया जाए। सरकार मॉनसून सत्र में महाभियोग प्रस्ताव लाना चाहती है, जो जुलाई के तीसरे सप्ताह में शुरू हो सकता है।
कुछ नेताओं का सुझाव है कि विशेष सत्र बुलाया जाए और उसमें महाभियोग प्रस्ताव पर चर्चा कर वोटिंग कर ली जाए। बता दें कि महाभियोग प्रस्ताव को लोकसभा में लाने के लिए कम से कम 100 सांसदों और राज्यसभा में 50 सांसदों के समर्थन की जरूरत होती है।
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