Ranchi : रांची में बिजली वितरण व्यवस्था में हुए बड़े बदलावों का असर अब साफ नजर आने लगा है। झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड (JBVNL) द्वारा शहर में स्मार्ट मीटर और एलटी नंगे तारों को एरियल बंच (AB) केबल में बदलने की पहल ने एग्रीगेट टेक्निकल एंड कॉमर्शियल (AT&C) लॉस और बिजली चोरी दोनों पर लगाम कस दी है।
AT&C लॉस में बड़ी गिरावट
2024 की शुरुआत में रांची में AT&C लॉस जहां 30-31 प्रतिशत के आसपास था, वहीं अब यह गिरकर 22-23 प्रतिशत पर आ गया है। अधिकारियों का मानना है कि अगर पूरे शहर की LT लाइनें AB केबल में बदल दी जाएं और सभी मीटर प्रीपेड हो जाएं, तो यह लॉस घटकर 15% तक आ सकता है।
बिजली की गुणवत्ता में सुधार
बिजली लॉस घटने से न केवल राजस्व में वृद्धि हुई है, बल्कि उपभोक्ताओं को बेहतर और स्थिर बिजली आपूर्ति भी मिलने लगी है। शहर के विभिन्न डिवीजनों में अब तक निम्नलिखित दूरी की LT लाइनें एरियल बंच केबल में बदली जा चुकी हैं:
- ईस्ट डिवीजन: 252 किमी
- वेस्ट डिवीजन: 251.01 किमी
- कोकर डिवीजन: 244 किमी
- सेंट्रल डिवीजन: 229.5 किमी
- न्यू कैपिटल डिवीजन: 316 किमी
- डोरंडा डिवीजन: 486 किमी
राज्यभर में अब तक कुल 71,000 सर्किट किमी AB केबल लगाई जा चुकी है। इसके अतिरिक्त RDS Scheme के तहत इस वर्ष 6622 सर्किट किमी अतिरिक्त केबल बिछाई गई है। यानी राज्य में अब तक कुल मिलाकर करीब 78,000 सर्किट किमी AB केबल स्थापित की जा चुकी है।
स्मार्ट मीटर से चोरी पर लगाम
18,63,749 उपभोक्ताओं को स्मार्ट मीटर से जोड़ने का लक्ष्य तय किया गया है। अब तक 7,70,027 परिसरों में स्मार्ट मीटर इंस्टॉल किए जा चुके हैं। इनमें से लगभग 3 लाख मीटर पूरी तरह प्रीपेड मोड में हैं, जिससे बिजली चोरी की संभावना बेहद कम हो गई है। शेष मीटरों को भी जल्द ही प्रीपेड में बदला जाएगा।
स्मार्ट मीटरों की खासियत यह है कि इन्हें बायपास करना या इनमें छेड़छाड़ करना लगभग असंभव हो चुका है। अब सभी रीडिंग्स ऑनलाइन सिस्टम से सीधे दर्ज होती हैं।
ट्रांसफार्मर स्तर पर भी निगरानी
राज्य में वर्तमान में 2,68,700 वितरण ट्रांसफार्मर लगे हुए हैं। इनमें से 1 लाख से अधिक ट्रांसफार्मरों पर मीटर लगाए जा चुके हैं। इससे यह पता लगाना संभव हो पाया है कि कौन से ट्रांसफार्मर से सबसे ज्यादा चोरी हो रही है, जिससे कार्रवाई और निगरानी आसान हो गई है।
चोरी में 80% तक की कमी
जहां दो साल पहले हर महीने रांची में बिजली चोरी के 800 से 1000 मामले सामने आते थे, वहीं अब यह संख्या घटकर 100-200 पर आ गई है। पहले नंगे तारों पर हुकिंग आम बात थी, लेकिन AB केबल में हुकिंग संभव नहीं होने से यह प्रथा लगभग खत्म हो गई है।
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