Johar Live Desk : गणेश चतुर्थी, जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तक 10 दिनों तक धूमधाम से मनाया जाता है। खासकर महाराष्ट्र में इस उत्सव का उत्साह चरम पर होता है। यह त्योहार बुद्धि, समृद्धि और शुभ भाग्य के देवता भगवान गणेश के जन्म का प्रतीक है।
गणेश चतुर्थी की पौराणिक कथा
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने चंदन के लेप से गणेश जी की रचना की और उन्हें जीवन प्रदान किया। एक दिन नहाते समय माता ने गणेश जी को दरवाजे पर पहरा देने को कहा। जब भगवान शिव आए, तो गणेश जी ने उन्हें पहचान न पाने के कारण अंदर जाने से रोक दिया। क्रोधित होकर शिव जी ने गणेश का सिर काट दिया। बाद में माता पार्वती के दुख को देखकर शिव जी ने गणेश को पुनर्जनन का वरदान दिया और उनके शरीर पर हाथी का सिर लगाया। तभी से गणेश जी को विघ्नहर्ता और नए कार्यों के शुभारंभ का देवता माना जाता है।
10 दिनों के उत्सव का रहस्य
ऐसा माना जाता है कि गणेश चतुर्थी 10 दिनों तक मनाने की परंपरा के पीछे एक खास कथा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, वेद व्यास जी ने भगवान गणेश से महाभारत ग्रंथ लिखने की प्रार्थना की। गणेश जी ने 10 दिनों तक बिना रुके महाभारत लिखी, जिससे उनका तापमान बढ़ गया। इसके बाद वेद व्यास जी ने 10वें दिन उन्हें नदी में स्नान करवाया। यही कारण है कि यह उत्सव 10 दिनों तक मनाया जाता है।
उत्सव का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व
गणेश चतुर्थी के 10 दिन कई मायनों में खास हैं :
- दिव्यता का प्रतीक : इन दिनों को भगवान गणेश की धरती पर उपस्थिति का प्रतीक माना जाता है, जब वे भक्तों को आशीर्वाद देते हैं और बाधाएं दूर करते हैं।
- आध्यात्मिक शुद्धि : यह समय आत्मिक शुद्धि, साधना और बुरी आदतों से मुक्ति का अवसर प्रदान करता है।
- भक्ति और अनुष्ठान : भक्त रोजाना पूजा, आरती और मोदक-लड्डू जैसे प्रसाद अर्पित करते हैं। घरों और पंडालों में गणेश जी की मूर्तियां स्थापित की जाती हैं।
- विसर्जन का महत्व : अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी की प्रतिमा का जल में विसर्जन किया जाता है, जो जन्म-मृत्यु के चक्र और प्रकृति में विलय का प्रतीक है।
- सामाजिक एकता : यह उत्सव समुदाय को एकजुट करता है, जहां लोग मिलकर पूजा और उत्सव में हिस्सा लेते हैं।
उत्सव की तैयारियां जोरों पर
देशभर में गणेश चतुर्थी की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। बाजारों में गणेश मूर्तियों की बिक्री शुरू हो चुकी है, और पंडालों को सजाया जा रहा है। भक्तों में उत्साह का माहौल है, और हर कोई बप्पा के स्वागत के लिए तैयार है। यह त्योहार न केवल भक्ति का अवसर है, बल्कि सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर को भी मजबूत करता है।
Disclaimer : इस लेख में दी गई जानकारी सिर्फ आम जानकारी के लिए है। इसका मकसद किसी की भावना को ठेस पहुँचाना नहीं है। पाठकों से निवेदन है कि इस लेख को पूरी तरह सच मानकर न चलें और अपनी समझ का इस्तेमाल करें।
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