Johar Live Desk : गाजा के अल-शिफा अस्पताल के पास पत्रकारों के तंबू पर हुए इजरायली हमले में कम से कम 5 पत्रकारों की जान चली गई। इजरायली सेना ने इस हमले की पुष्टि करते हुए दावा किया है कि मारे गए पत्रकारों में कुछ हमास के लिए काम कर रहे थे।
हमास से जुड़े होने का आरोप
इजरायली डिफेंस फोर्स (IDF) ने कहा कि मारे गए लोगों में अनस अल-शरीफ भी था, जो खुद को अल जजीरा का पत्रकार बताता था लेकिन असल में हमास का आतंकवादी था। सेना के अनुसार, उसके पास से कई दस्तावेज़ और सबूत मिले हैं जो उसे हमास का सक्रिय सदस्य साबित करते हैं।
IDF ने एक्स (Twitter) पर लिखा: “प्रेस बैज आतंक की ढाल नहीं बन सकता।”
अंतरराष्ट्रीय चिंता और पत्रकारों पर हमले का आरोप
अल जजीरा और पत्रकार सुरक्षा संगठनों का कहना है कि गाजा युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक 186 पत्रकार मारे जा चुके हैं। अल जजीरा ने यह भी आरोप लगाया कि इजरायली सेना स्थानीय पत्रकारों को जानबूझकर निशाना बना रही है ताकि गाजा की स्थिति की सही रिपोर्टिंग न हो सके।

विदेशी पत्रकारों को अनुमति देने के बाद हमला
इस हमले से कुछ घंटे पहले ही इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा था कि अब कुछ विदेशी पत्रकारों को गाजा में रिपोर्टिंग की इजाजत दी जाएगी। उन्होंने कहा था कि यह कदम सुरक्षा का ध्यान रखते हुए सावधानी से उठाया जाएगा।
“हमास ने हथियार डाले तो युद्ध कल ही खत्म”: नेतन्याहू
इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने फिर दोहराया कि युद्ध तभी खत्म होगा जब हमास अपने हथियार डाल दे और सभी बंधकों को रिहा कर दे। उन्होंने हमास पर आरोप लगाया कि वह गाजावासियों को अपनी ढाल बना रहा है और उनकी जिंदगी को खतरे में डाल रहा है।
गाजा को आजाद करना है, कब्जा नहीं करना – नेतन्याहू
नेतन्याहू ने कहा कि इजराइल का मकसद गाजा पर कब्जा करना नहीं, बल्कि गाजा को हमास आतंकियों से आज़ाद कराना है। उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में गाजा सीमा पर एक सुरक्षित इलाका बनाया जाएगा और वहां ऐसा प्रशासन होगा जो इजराइल के साथ शांतिपूर्वक रह सके।
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