Patna : बिहार के मखाना, शाही लीची, जर्दालू आम और कतरनी चावल जैसे कृषि उत्पादों को अब इंग्लैंड, अमेरिका और यूरोप के बाजारों में निर्यात करना आसान हो जाएगा। केंद्र सरकार ने बिहार के किसानों की आय बढ़ाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) का क्षेत्रीय कार्यालय पटना में खोलने की मंजूरी मिल गई है। मीठापुर कृषि भवन परिसर के एनेक्सी भवन में इसके लिए जगह आवंटित कर दी गई है, और जल्द ही इसका उद्घाटन होगा।
निर्यात में तिगुनी वृद्धि का लक्ष्य
एपीडा के क्षेत्रीय कार्यालय के खुलने से बिहार से कृषि निर्यात में तेजी आएगी। अगले तीन वर्षों में निर्यात को तिगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। पहले वर्ष में 50 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) को ऑनबोर्ड किया जाएगा और 20 हजार किसानों को निर्यात संबंधी प्रशिक्षण दिया जाएगा। साथ ही, 10 पैक हाउस को प्रमाणन प्रदान किया जाएगा। उपमुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने बताया कि अब किसानों, उत्पादक संगठनों, प्रोसेसरों और निर्यातकों को प्रशिक्षण, प्रमाणन, पैकेजिंग और मानकीकरण जैसी सुविधाएं पटना में ही उपलब्ध होंगी। इससे बिहार के कृषि और बागवानी उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में बेहतर मूल्य मिलेगा और किसानों की आय में वृद्धि होगी।
पहले की चुनौतियां होंगी खत्म
अभी तक बिहार के कृषि उत्पादों के लिए प्रमाणपत्र वाराणसी स्थित एपीडा कार्यालय से लेना पड़ता था। फाइटो सेनेटरी लैब के लिए कोलकाता और लखनऊ पर निर्भर रहना पड़ता था। इस प्रक्रिया में काफी समय लगता था, जिसके कारण निर्यातक बिहार से कच्चा माल ले जाकर दूसरे राज्यों में पैकिंग करते थे। इससे बिहार के उत्पाद होने के बावजूद निर्यात का श्रेय अन्य राज्यों को मिल जाता था। नई व्यवस्था से यह समस्या खत्म होगी और बिहार का निर्यात खाता मजबूत होगा।
बिहार का कृषि क्षेत्र में योगदान
बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है, लेकिन निर्यात में उसकी हिस्सेदारी अभी कम है। वर्ष 2023 में बिहार से केवल 17.6 मिलियन अमेरिकी डॉलर का कृषि निर्यात हुआ। बिहार देश में शाही लीची उत्पादन में 71%, मखाना में 85%, सब्जियों में 9% और मक्का उत्पादन में 7% का योगदान देता है। नए क्षेत्रीय कार्यालय की स्थापना से प्रमाणन, ट्रेसेबिलिटी और पैकहाउस मानकों जैसी कमियों को दूर करने में मदद मिलेगी, जिससे निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
किसानों के लिए नई उम्मीद
इस पहल से बिहार के किसानों को न केवल अपने उत्पादों का उचित मूल्य मिलेगा, बल्कि उनकी मेहनत को वैश्विक पहचान भी मिलेगी। यह कदम बिहार के कृषि क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में महत्वपूर्ण साबित होगा।
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