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    Home»धर्म/ज्योतिष»25 मार्च को है एकादशी व्रत ,श्रवण नक्षत्र और शिव योग में किया जाएगा संवत्सर का अंतिम एकादशी व्रत :- आचार्य प्रणव मिश्रा
    धर्म/ज्योतिष

    25 मार्च को है एकादशी व्रत ,श्रवण नक्षत्र और शिव योग में किया जाएगा संवत्सर का अंतिम एकादशी व्रत :- आचार्य प्रणव मिश्रा

    Bhumi SharmaBy Bhumi SharmaMarch 18, 2025No Comments3 Mins Read
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    Johar live desk: यायीजय योग और द्विपुष्कर योग होने से इस एकादशी का महत्व हज़ार गुणा अधिक हो गया है। 24 और 25 को है। 24  को रात्रि 12:17 से आरंभ है और 25 को रात्रि 11:30 तक है एकादसी का महाव्रत । पारण 26 को सूर्योदय के बाद से किया जाएगा।

    होली के बाद और चैत्र नवरात्रि से पहले पड़ने वाली पाप मोचनी एकादशी श्रवण नक्षत्र और शिव योग में 25 मार्च का मनाई जाएगी।

    एकादशी की तिथि और महत्व के बारे में-

    हर महीने दो एकादशी पड़ती है पहला कृष्ण पक्ष और दूसरा शुक्ल पक्ष की एकादशी।

    एकादशी तिथि जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित समर्पित है। चैत्र माह नव संवत में पड़ने के कारण पापमोचनी एकादशी का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।

    पापमोचनी के नाम से ही प्रतीत होता है कि यह एकादशी सभी पापों का नाश करती है तथा जीवन में सुख संवृद्धि लाती है। उसे बैकुंठ लोक में स्थान प्राप्त होता है।

    एकादशी का महत्व

    पापमोचनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप की पूजा का विधान है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा करनी चाहिए। जिसमें श्रीहरि अपने चार हाथ में गदा, चक्र, शंख और कमल धारण किए होते हैं।

    इस एकादशी को करने से हजारों साल किए तपस्या के जितने का फल मिलता है। यह एकादशी पाप कर्मों का नाश करती है और स्वर्ग में स्थान दिलाती है।

    एकादशी व्रत का उद्देश्य है मन और शारीरिक इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त कर आध्यात्म की ओर जाना

    एकादशी का उपवास तीन दिनों तक चलता इसका उद्देश्य है मन और शारीरिक इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त कर के आध्यात्मिक प्रगति की ओर जाना है साथ ही उपवास करने के कई स्वास्थ्य लाभ भी हैं।

    एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की आराधना को समर्पित होता है। एकादशी का व्रत श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए। इस दिन विधिपूर्वक जल कलश का दान करने से पूरे साल की एकादशियों का फल मिलता है, और वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता है। एकादशी का व्रत महत्व सिर्फ आर्थिक लाभ तक सीमित नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को भी सुधारने में मदद करता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचमुखी दीया जलाने से रोगों का नाश होता है। यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय से कोई बीमारी हो, तो इस दिन यह उपाय उसकी बीमारी को दूर करने में सहायक होता है।

    पद्मपुराण की कथा के अनुसार भगवान विष्णु के शरीर से एक कन्या उत्पन्न हुईं, जिनका नाम एकादशी था। विष्णु जी के अंश से उत्पन्न होने के कारण एकादशी नामक देवी का नाम एकादशी रखा गया।

    प्रसिद्ध ज्योतिष

    आचार्य प्रणव मिश्रा

    आचार्यकुलम, अरगोड़ा, राँची

    8210075897

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