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    Home»देश»भारत में कोरोना वैक्सीन को विकसित करने के प्रयास जारी:राघवन
    देश

    भारत में कोरोना वैक्सीन को विकसित करने के प्रयास जारी:राघवन

    Team JoharBy Team JoharMay 29, 2020No Comments4 Mins Read
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    Joharlive Desk

    नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर के़ विजय राघवन ने कहा है कि देश में इस समय 30 वैज्ञानिक समूह, उद्योग जगत से जुड़ी इकाइयां और व्यक्तिगत पैमाने पर कोरोना वैक्सीन को विकसित करने के प्रयास किए जा रहे हैं और लगभग 20 समूहाें की इस क्षेत्र में अच्छी प्रगति जारी है।

    डा़ राघवन ने गुरूवार को यहां कोरोना के खिलाफ वैक्सीन विकसित करने में जुटे वैज्ञानिक संस्थानों, इकाइयों और विभागों की प्रगति की जानकारी देते हुए कहा कि हांलाकि वैक्सीन को विकसित करने में समय लग सकता है लेकिन तब तक हमें पांच महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देना होगा जिनमें मॉस्क का इस्तेमाल और व्यक्तिगत साफ सफाई की आदतों को अपनाना, किसी भी वस्तु की सतहों को छूने से बचने,शारीरिक दूरी बनाने,संक्रमित लोगों के संपर्क सूत्रों का पता लगाने और लोगों की टेस्टिंग पर ध्यान देने की जरूरत है।

    उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग जगत आठ वैक्सीनों पर काम कर रहा है और इनमें सीरम इंस्टीट्यूट, भारत बायोटेक, कैडिला और बायोलॉजिकल ई़ प्रमुख हैं तथा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद(आईसीएमआर) के तहत प्रयाेगशालाएं,जैव प्रौद्याेगिकी विभाग,वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद(सीएसआईआर)भी छह वैक्सीनों पर काम कर रहा है और दो के नतीजे काफी सकारात्मक सामने आए हैं। डा़ राघवन ने बताया कि वैक्सीन को विकसित करने के बाद इसके वितरण का कार्य भी एक बड़ी चुनौती है और इसके लिए प्राथमिकता वाले समूहों पर विचार किया जा रहा है और यह वैक्सीन तत्काल हर किसी के लिए उपलब्ध नहीं होगी।

    इस दौरान नीति आयोग के सदस्य डा़ वी के पॉल ने कहा है कि देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान और फार्मास्यूटिकल्स तथा अन्य संस्थानों की विशेषज्ञता विश्व में प्रसिद्ध है और इन्हीं के जरिए कोराेना के खिलाफ जंग जीतने में मदद मिलेगी।

    कोरोना विषाणु संक्रमण से निपटने के लिए बनाए 11 उच्च अधिकार प्राप्त समूहों में से प्रथम समूह के प्रमुख डा़ पॉल ने कहा कि भारत के फार्मास्यूटिकल्स उद्योग की विश्व में अपनी पहचान है और यहां बनने वाली दवाओं तथा वैक्सीनों की विश्व में मांग हैं तथा इनका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल भी किया जा रहा है।

    उन्होेंने कोरोना से निपटने में भारत की तरफ से विज्ञान और प्राैद्योगिकी तथा वैक्सीन और दवाओं के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी देते हुए कहा कि हमें देश के अपने विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों पर गर्व है और देश में विभिन्न स्तरों पर काेेरोना से निपटने के प्रयास किए जा रहेे हैं।

    उन्होंने कहा कि देश में 20 स्वदेशी कंपनियों ने कोरोना के लिए डायग्नोस्टिक किट्स प्रदान की हैं और जुलाई माह तक देश में ऐसी पांच लाख किट्स बननी शुरू हो जाएंगी।

    विदेशों में भारतीय दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के बारे में विवाद को पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इस दवा को लेकर मलेरिया के मामले में भारत का अनुभव काफी पुराना है और यह कोरोना में भी कारगर पाई गई है। इसी वजह से इसे कोरोना से लड़ रहे अग्रणी पंक्ति के स्वास्थ्यकर्मियों और अन्य लोगों को दिए जाने की सलाह दी गई है तथा इस बारे में नए दिशानिर्देश जारी किए गए हैं और इसी आधार पर डॉक्टर और नर्सें इसका इस्तेमाल कर रहे हैं।

    उन्होंने बताया कि देश में विनियामक तंत्र काफी मजबूत है और अगर कोई वैक्सीन बन भी जाती है तो उसका समुचित ‘ ह्यूमन ट्रायल’ उपयुक्त मानदंड़ों के आधार पर ही किया जाएगा और इसमें कोई भी समझौता नहीं किया जाएगा। इसके बाद ही इस तरह की किसी वैक्सीन को मंजूरी दी जाएगी। देश में इस समय आठ समूह वैक्सीन बनाने की दिशा में जुड़े हैं और चार का काम काफी अग्रिम चरण में हैं। इसके अलावा देश में कोरोना से लड़ाई में विभिन्न प्रकार की दवाओं को भी परखा जा रहा है और इनमें फेविपिराविर दवा, एसीएचक्यू, बीसीजी वैक्सीन की उपयोगिता, कंवलसेंट प्लाज्मा, आर बिडोल, रेमडिसिविर की उपयोगिता को परखा जा रहा है। इसके अलावा आईसीएमआर देश के 69 जिलों में सीरो सर्वेक्षण कर रहा है और इसके नतीजे अगले हफ्ते तक आ जाएंगे।

    #National News coronavirus cases covid 19 india Latest news Vijay Raghavan
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