MP : मध्य प्रदेश में राजनीतिक बयानबाजी थमने का नाम नहीं ले रही. पहले बीजेपी मंत्री विजय शाह के बयान ने हलचल मचाई और अब डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा का ताजा बयान चर्चा में आ गया है. जबलपुर में आयोजित एक सिविल डिफेंस वॉलेंटियर्स के कार्यक्रम के दौरान देवड़ा ने कुछ ऐसा कह दिया, जिससे सियासी तापमान चढ़ गया है. डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने कहा, “आज पूरा देश, देश की सेना और हमारे सैनिक भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चरणों में नतमस्तक हैं.” ये बात उन्होंने एक सार्वजनिक मंच से कही, जहां बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे.
MP | Deputy CM Jagdish Deora का विवादित बयान, ‘देश की सेना PM Modi के चरणों में नतमस्तक है’
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जैसे ही उन्होंने ये बात कही, कार्यक्रम स्थल तालियों की गूंज से भर गया. लेकिन अब यही तालियां राजनीतिक घमासान की वजह बन गई हैं.
पहलगाम आतंकी हमले का किया जिक्र
देवड़ा ने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि यह हमला बहुत ही अमानवीय और दर्दनाक था. उन्होंने कहा कि महिलाओं को अलग खड़ा करके गोली मारी गई, बच्चों के सामने माताओं को मारा गया. पूरे देश का खून खौल गया था. उन्होंने यह भी कहा कि जब तक इन दरिंदों को मारा नहीं गया, तब तक देश ने चैन की सांस नहीं ली. और इसका श्रेय प्रधानमंत्री मोदी को जाता है.
उनका कहना था कि पीएम मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति और तेज फैसलों की वजह से आतंकी हमले का मुंहतोड़ जवाब दिया गया.
विपक्ष ने जताई कड़ी आपत्ति
हालांकि, डिप्टी सीएम के इस बयान पर विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. कांग्रेस ने बयान को सेना का राजनीतिक इस्तेमाल करार देते हुए इसे अपमानजनक बताया है. कांग्रेस का कहना है कि भारतीय सेना देश के संविधान और लोकतंत्र की रक्षा करती है, न कि किसी राजनीतिक व्यक्ति विशेष के चरणों में नतमस्तक होती है. कांग्रेस ने देवड़ा से माफी की मांग की है और चुनाव आयोग से शिकायत करने की भी बात कही है.
वहीं, सोशल मीडिया पर भी इस बयान को लेकर बहस तेज हो गई है. कुछ लोग इसे देशभक्ति से जुड़ा बयान बता रहे हैं, तो कुछ इसे सेना की गरिमा के खिलाफ मान रहे हैं.
राजनीति गरम, बयान पर अड़ा है बीजेपी
बीजेपी की ओर से अब तक देवड़ा के बयान पर कोई सफाई नहीं आई है. लेकिन पार्टी के कई नेता इसे “देश के नेता के लिए सम्मान” से जोड़कर देख रहे हैं. वहीं, विपक्ष इसे सीधा-सपाट सेना का राजनीतिकरण कह रहा है.
साफ है कि चुनावी मौसम में नेताओं के बयान अब भावनाओं और भावनात्मक मुद्दों पर ज्यादा केंद्रित हो गए हैं. लेकिन जब बात सेना जैसी संवेदनशील संस्था की हो, तो बयान सोच-समझकर देना जरूरी हो जाता है.
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