धर्म के आधार पर मतदान का षड्यंत्र, भाजपा ने मुख्य चुनाव आयुक्त से की शिकायत, कथित तौर पर रांची आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो द्वारा हस्ताक्षरित पत्र सोशल मीडिया पर वायरल

Joharlive Team

रांची : राजनीति में धर्म के नाम पर षड्यंत्र का एक और नमूना सामने आया है। सोशल मीडिया पर एक पत्र वायरल है, जिसमें लोगों से धर्म के आधार पर मतदान करने की अपील की जा रही है। जोहर लाइव इस पत्र की सत्यता को प्रमाणित नहीं करता।पत्र में रांची के आर्चबिशप फेलिक्स टोप्पो का हस्ताक्षर दिखाया जा रहा है। और लोगों को कहा जा रहा है कि ईसाई धर्म के लोग सिर्फ उन्हीं लोग को वोट दें, जो उनके धर्म से आते हैं। अन्यथा नोटा का बटन दबाएं।
इस पत्र के वायरल होते ही राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। भारतीय जनता पार्टी ने मुख्य चुनाव आयुक्त से इसकी शिकायत कर पत्र की जांच करने की मांग की है। मांग करते हुए पार्टी ने लिखा है कि यदि यह पत्र सही है तो उस पर न्याय संगत कार्यवाही हो ।

क्या है वायरल पत्र में –
सोशल मीडिया पर तेजी से फैल रहे इस पत्र में झारखंड विधानसभा चुनाव में उन्हें वोट देने की अपील की गई है, जो ईसाई समुदाय से आते हैं। पत्र में लिखा गया है कि राज्य में ईसाइयों की बड़ी संख्या है। लेकिन किसी भी राजनीतिक पार्टी ने ईसाई प्रत्याशी को खड़ा नहीं किया है। ऐसे में समाज द्वारा उन प्रत्याशियों का बहिष्कार किया जाना चाहिए। ईसाई समुदाय के लोग उन्हें ही वोट करें जो उनके समाज चाहते हैं अन्यथा वे नोटा का बटन दबाएं।
पत्र में लिखा गया है कि समाज के लोगों को एकजुट होने की जरूरत है और इसाई विरोधी ताकतों को दूर करने की जरूरत है। इसके अलावा वर्तमान सरकारों को ईसाई विरोधी बताया गया है।

दूसरे चरण की सीटों पर संबंधित प्रत्याशियों के नाम भी हैं अंकित –
धर्म के आधार पर वोट करने की अपील के साथ पत्र में 20 प्रत्याशियों की सूची भी है। यह 20 प्रत्याशी उन विधानसभा क्षेत्रों से खड़े हैं जहां 7 दिसंबर को दूसरे चरण के मतदान होने हैं। यह पत्र इन 20 प्रत्याशियों को सीधे रुप से फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से फैलाया गया है।

पहले भी सामने आए हैं ऐसे मामले –
बता दे कि इसके पहले भी लोकसभा चुनाव में भाजपा के विरोध में ईसाई समुदाय द्वारा ऐसे ही मैसेज वायरल हुए थे। जिसमें यह अपील की जा रही थी कि ईसाई भाजपा अथवा अन्य पार्टियों का विरोध करें जो ईसाईयों के हित में नहीं सोचती है। वह पत्र देश भर में फैलाया गया था, जिसके बाद काफी विवाद हुआ था। उस समय तत्कालीन आर्चबिशप और कार्डिनल टेलेस्फोर पी टोप्पो का नाम सामने आया था। हालांकि तब वायरल पत्र को ईसाई संगठनों ने फर्जी बताया था।