New Delhi : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार द्वारा लागू की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत भारत में उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। इसी कड़ी में अमेरिका के इलिनोइस इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (Illinois Tech) को भारत में अपना कैंपस खोलने की अनुमति मिल गई है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने इसकी औपचारिक मंजूरी दे दी है।
मुंबई में खुलेगा कैंपस, 2026 तक शुरू होगा संचालन
‘गल्फ न्यूज’ की रिपोर्ट के अनुसार, इलिनोइस टेक का कैंपस 2026 तक भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में शुरू हो जाएगा। यह संस्थान कंप्यूटर साइंस, इंजीनियरिंग और बिजनेस जैसे लोकप्रिय क्षेत्रों में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम उपलब्ध कराएगा।
भारत में कैंपस खोलने वाला पहला अमेरिकी संस्थान
इलिनोइस टेक, भारत में अपना परिसर स्थापित करने वाला पहला अमेरिकी विश्वविद्यालय होगा। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत यह कदम भारत को वैश्विक शिक्षा केंद्र बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
UGC ने पांच और विदेशी विश्वविद्यालयों को दी मंजूरी
यूजीसी ने इसके अलावा पांच और प्रतिष्ठित विदेशी विश्वविद्यालयों को भी भारत में कैंपस खोलने की अनुमति दी है। इनमें शामिल हैं:
- लिवरपूल विश्वविद्यालय (यूके)
- विक्टोरिया विश्वविद्यालय (ऑस्ट्रेलिया)
- वेस्टर्न सिडनी विश्वविद्यालय (ऑस्ट्रेलिया)
- इस्टिटुटो यूरोपियो डी डिजाइन (इटली)
यॉर्क विश्वविद्यालय (यूके) – यह 2026-27 शैक्षणिक सत्र से मुंबई में विभिन्न तकनीकी और व्यवसायिक पाठ्यक्रम शुरू करेगा।
बेंगलुरु में साइंस सेंटर खोलेगा इंपीरियल कॉलेज लंदन
इसके अलावा, इंपीरियल कॉलेज लंदन बेंगलुरु में एक साइंस सेंटर शुरू करेगा, जो एआई, दूरसंचार, सेमीकंडक्टर, हेल्थ टेक और क्लीन टेक्नोलॉजी में रिसर्च और इनोवेशन को बढ़ावा देगा।
विदेश जाए बिना मिलेगी अंतरराष्ट्रीय शिक्षा
गल्फ न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में इसे भारतीय युवाओं के लिए एक नया युग बताया है। अब छात्रों को विदेश जाए बिना ही विश्व स्तरीय शिक्षा भारत में ही उपलब्ध होगी। यूजीसी के दिशा-निर्देशों के तहत विदेशी विश्वविद्यालयों को पाठ्यक्रम तैयार करने, प्रवेश प्रक्रिया तय करने और शुल्क संरचना निर्धारित करने की पूरी स्वतंत्रता दी गई है।
नई शिक्षा नीति के तहत यह पहल भारत में वैश्विक शिक्षा को सुलभ बनाने और देश को ज्ञान आधारित समाज बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे भारतीय छात्रों को बेहतर शैक्षणिक अवसर मिलेंगे और देश की शिक्षा प्रणाली में बड़ा बदलाव आएगा।
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