Ranchi : बिहार में मिली सफलता के बाद, अब पूरे देश में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया शुरू की जाएगी. इसके तहत, चुनाव आयोग पूरे भारत में मतदाता सूचियों की समीक्षा करेगा, जिसका मुख्य उद्देश्य अवैध प्रवासियों का पता लगाकर उन्हें मतदाता सूची से हटाना है.
क्या है विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और क्यों हो रहा है यह?
विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) एक प्रक्रिया है, जिसके तहत चुनाव आयोग मतदाता सूचियों की गहराई से जाँच करता है. इसका मकसद यह सुनिश्चित करना है कि केवल पात्र भारतीय नागरिक ही मतदाता सूची में हों और कोई भी अवैध प्रवासी इसमें शामिल न हो. यह कदम बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों से आए अवैध विदेशी प्रवासियों पर कार्रवाई के मद्देनजर बहुत अहम माना जा रहा है.
विवाद और अदालती मामला
यह प्रक्रिया पहले बिहार में शुरू हुई थी और अब इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा. हालाँकि, इस कदम का कई विपक्षी दलों और अन्य संगठनों ने विरोध किया है. उनका कहना है कि इस व्यापक प्रक्रिया से कई योग्य नागरिकों को उनके मतदान के अधिकार से वंचित किया जा सकता है. इस मुद्दे को लेकर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है.
पिछली सूचियों का क्या होगा?
कुछ राज्यों में मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEO) ने पहले से ही अपनी पुरानी मतदाता सूचियों को जारी करना शुरू कर दिया है. जैसे, दिल्ली की वेबसाइट पर 2008 की मतदाता सूची उपलब्ध है, और उत्तराखंड में 2006 की मतदाता सूची उपलब्ध है. चुनाव आयोग बिहार की 2003 की मतदाता सूची को आधार मानकर जाँच कर रहा है, और इसी तरह बाकी राज्यों में भी 2002 से 2004 के बीच की मतदाता सूचियों को आधार बनाया जाएगा.
एक अधिकारी के अनुसार, चुनाव आयोग इस राष्ट्रव्यापी पुनरीक्षण पर 28 जुलाई के बाद अंतिम फैसला लेगा, क्योंकि इसी दिन बिहार में मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण से संबंधित मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में फिर से होगी.
आगामी चुनाव और SIR का महत्व
इस साल बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि अगले साल (2026) असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भी विधानसभा चुनाव होंगे. ऐसे में, यह SIR प्रक्रिया इन चुनावों से पहले मतदाता सूचियों को साफ करने और यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है कि केवल वैध मतदाता ही इसमें शामिल हों.