Jamshedpur : राज्य की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल एक बार फिर खुल गई जब एमजीएम अस्पताल में इलाज के अभाव में पोटका के कलिकापुर पोचापाड़ा निवासी 38 वर्षीय वरुण भगत की मौत हो गई। मिली जानकारी के अनुसार वरुण को कुत्ते ने काट लिया था, जिसके बाद उसकी तबीयत बिगड़ गई। परिजन उसे बुधवार दोपहर करीब 1 बजे एमजीएम अस्पताल लेकर पहुंचे। डॉक्टरों ने उसकी हालत गंभीर बताई और उसे रांची रिम्स रेफर करने की सलाह दी। लेकिन चार घंटे बीतने के बाद भी न तो इलाज मिला और न ही रेफर के लिए एंबुलेंस उपलब्ध हो सकी।
परिजनों के अनुसार 108 एंबुलेंस सेवा में कॉल करने पर जवाब मिला कि गाड़ी लाइन में है। अस्पताल प्रशासन ने कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की। चार घंटे तक वरुण अस्पताल के फर्श पर तड़पता रहा। इस दौरान उसे न बेड मिला, न ऑक्सीजन और न ही प्राथमिक इलाज। केवल एक इंजेक्शन देकर उसे छोड़ दिया गया।
वरुण की पत्नी सविता भगत का कहना है कि बार-बार गुहार लगाने के बाद भी किसी ने ध्यान नहीं दिया। अगर समय पर इलाज और रेफर की सुविधा मिल जाती, तो वरुण की जान बच सकती थी।
सरकार द्वारा एमजीएम अस्पताल को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने के दावों के बावजूद यह घटना दिखाती है कि अस्पतालों की जमीनी हकीकत बेहद चिंताजनक है। डॉक्टरों की लापरवाही, बेड और एंबुलेंस की कमी जैसे हालात आज भी जस के तस बने हुए हैं।
इलाज करने वाले डॉक्टर ने मरीज की स्थिति गंभीर बताते हुए कहा कि उन्होंने बचाने की कोशिश की, मगर सफलता नहीं मिली। अव्यवस्था पर बोलने से उन्होंने परहेज़ किया।
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