भगवान की जमीन, बुनकरों के हक के पैसे हड़पे, तीन मामलों में सीबीआइ ने दर्ज की एफआइआर

भगवान राम की जमीन को फर्जीवाड़ा कर बेचने, बुनकरों के हक के नौ करोड़ रूपयों से अधिक के गबन और बैंक को 17 करोड़ से अधिक का चूना लगाने के मामले में सीबीआई ने तीन अलग अलग एफआइआर दर्ज किए हैं। भगवान राम की जमीन बेचने के मामले में सीबीआइ की एसीबी में प्राथमिकी दर्ज की गई है। इस मामले में मंदिर के पुजारी महंत रामशरण दास, आरआरडीए के अज्ञात अधिकारियों व अन्य लोगों को आरोपी बनाया गया है। वहीं एसीबी में ही दर्ज दूसरी प्राथमिकी में छोटानागपुर रीजनल हेंडलूम वीवर्स कॉपरेटिव यूनियन लिमिटेड के चेयरमैन मो मंसूर अहमद अंसारी, निदेशक सैयद अहमद अंसारी और उनके परिजनों को आरोपी बनाया गया है। तीसरी प्राथमिकी इओडब्लू विंग ने दर्ज की है। इस मामले में केनरा बैंक के बर्खास्त ब्रांच मैनेजर केशव कुमार, हरिओम कंस्ट्रक्शन, चांदी इंटरप्राइजेज और केआर ऑटोमोबाइल्स के पार्टनर पर दर्ज किया गया है।
केस 1
रजिस्ट्री डीड में हेरफेर कर बेच दी गई भगवान की जमीन
रामजानकी तपोवन मंदिर ट्रस्ट और उसकी परिसंपत्तियों की रजिस्ट्री डीड में हेरफेर कर बिक्री कर दी गई थी। इस मामले में आतीश कुमार सिंह ने झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। झारखंड हाईकोर्ट ने 7 जून को सीबीआइ जांच का आदेश दिया था। सीबीआइ एसीबी में दर्ज एफआइआर में जिक्र है कि 20 सितंबर 2005 को ट्रस्ट की रजिस्ट्री डीड में गलत मंशा से फेरबदल किया गया। इसके बाद ट्रस्ट की करोड़ों की जमीन को कंवर्जन पर ट्रांसफर कर अपार्टमेंट व ऊंची इमारतें बना दी गई। डीड में महंत रामशरण दास ने फेरबदल किया। ट्रस्ट का गठन 24 फरवरी 1948 को किया गया था। तब इसके संस्थापक महंत जानकी शरण थे। डीड में पहली बार 1987 और दूसरी बार 2005 में फेरबदल किया गया था। 2005 में फेरबदल किए जाने के बाद डीड में जमीन के ट्रांसफर और कंवर्जन पर देने का क्लॉज जोड़ा गया। तब महंत रामशरण दास ने खूद को गलत तरीके से ट्रस्ट का संस्थापक बताया था। नए डीड के आधार पर आरआरडीए अधिकारियों की मिलीभगत से अपार्टमेंट के नक्शे पास कर दिए गए। तपोवन ट्रस्ट की निवारणपुर, रातू रोड, मणिटोला, हवाईनगर की जमीन को बेच दिया गया। महंत रामशरण दास पर आरोप है कि उन्होंने जमीन को बेचने के लिए झारखंड राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड के समक्ष भी गलत तथ्य पेश किए थे।
केस 2
बुनकरों के हक के नौ करोड़ रुपये का गबन
छोटानागपुर रीजनल हेंडलूम वीवर्स कॉपरेटिव यूनियन लिमिटेड के चेयरमैन मो मंसूर अहमद अंसारी, निदेशक सैयद अहमद अंसारी और उनके परिवार के अज्ञात सदस्यों के खिलाफ सीबीआइ ने 9 करोड़ से अधिक की गबन का मामला दर्ज किया है। झारखंड सरकार ने इस मामले में केंद्र सरकार को पत्र लिखकर सीबीआइ जांच की मांग की थी। केंद्र की इजाजत के बाद सीबीआइ की एसीबी ने प्राथमिकी दर्ज की। सीबीआइ की एफआइआर में जिक्र है कि मो मंसूर अहमद अंसारी, सैयद अहमद अंसारी ने बुनकरों के कल्याण व उनके कॉपरेटिव के पैसों का दुरूपयोग किया। बुनकरों के कल्याण के पैसों को अस्पताल व हॉस्पीटलिटी सर्विस में नियम विरूद्ध लगाया गया। अस्पताल में भी सिविल काम के एलॉटमेंट, दवा सप्लायी में गड़बड़ी और अस्पताल में कर्मचारियों की नियुक्ति में गड़बड़ी की गई। साल 1996- 97 और 2000- 04 के बीच कुल नौ करोड़ की राशि की अनियमितता, गबन और फर्जीवाड़ा किया गया। इस मामले में तरूण कुमार सिंन्हा ने झारखंड हाईकोर्ट में पीआइएल भी फाइल किया था।
केस 3
बैंक अफसर ने पद का दुरूपयोग कर डुबोया 17 करोड़
केनरा बैंक के बर्खास्त ब्रांच मैनेजर केशव कुमार , हरिओम कंस्ट्रक्शन के पार्टनर व चांदी इंटरप्राइजेज के संचालक विजय कुमार सिंह, पंकज कुमार सिंह, कुमारी प्रियंका सिंह, प्रवीण कुमार सिंह, राजेश कुमार, चांदी इंटरप्राइजेज के पार्टनर अनिल कुमार, केआर ऑटोमोबाइल के बबलू कुमार, गीता शर्मा और मिस जया के खिलाफ सीबीआइ की इओडब्लू विंग ने आरोपी बनाया है। पटना सर्किल के केनरा बैंक के डिप्टी जेनरल मैनेजर देवानंद साहू ने मामला दर्ज कराया है। दर्ज एफआइआर के मुताबिक, बैंक मैनेजर ने अपने पद का दुरूपयोग करते हुए हरिओम कंस्ट्रक्शन के विजय कुमार सिंह से बगैर सेक्यूरिटी जमा लिए व संबंधित कागजात लिए 13.52 करोड़ का लोन दे दिया। इसी तरह विजय को बाद में 49 लाख और 22 लाख का वेहिक्ल लोन दिया गया। चांदी इटरप्राइजेज को 1.40 करोड़ और केआर ऑटोमोबाइल को भी करोड़ों का लोन दिया गया। फर्जीवाड़ा कर बैंक अधिकारी ने कुल 17.10 करोड़ का लोन दिया। जांच में सारा फर्जीवाड़ा सामने आया था, जिसके बाद बैंक अधिकारी को बर्खास्त कर दिया गया था।