Johar Live Desk: 12 जून को हुए भयावह एयर इंडिया विमान हादसे में जहां एक ओर कई लोगों की जान चली गई, वहीं एक मां की बहादुरी और ममता की कहानी लोगों के दिलों को छू रही है। इस हादसे में घायल हुए 8 माह के ध्यांश को न केवल उसकी मां ने आग की लपटों से बचाया, बल्कि उसके इलाज के लिए अपनी त्वचा भी दान की।
ध्यांश, जो इस दुर्घटना का सबसे छोटा पीड़ित है, को 36% तक गंभीर जलन हो गई थी। उसकी मां डॉ. मनीषा कच्छड़िया, जो एक होम्योपैथ डॉक्टर हैं, को भी 25% जलन हुई थी। इसके बावजूद, उन्होंने अपने बेटे के इलाज के लिए अपनी त्वचा दान कर एक मिसाल पेश की।
यह हादसा तब हुआ जब एयर इंडिया की फ्लाइट 171 बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल-कम-रेजिडेंशियल परिसर से टकरा गई। इस भीषण दुर्घटना में विमान में सवार 241 लोगों समेत कुल 260 लोगों की जान गई। हादसे के वक्त मनीषा अपने बेटे ध्यांश के साथ कॉलेज के आवंटित क्वार्टर में थीं, जबकि उनके पति डॉ. कपिल कच्छड़िया, जो बीजे मेडिकल कॉलेज में यूरोलॉजी में सुपर-स्पेशलिटी एमसीएच कोर्स कर रहे हैं, सिविल अस्पताल में ड्यूटी पर थे।
जैसे ही दुर्घटना हुई, मनीषा ने खुद को आग से झुलसते हुए भी अपने बेटे को गोद में उठाया और किसी तरह बाहर निकलने में सफल रहीं। प्राथमिक उपचार के बाद दोनों को गंभीर जलन के चलते उसी दिन केडी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
केडी अस्पताल में इलाज कर रहे प्लास्टिक सर्जन डॉ. ऋत्विज पारिख के अनुसार, मां-बेटे दोनों को थर्ड-डिग्री जलन हुई थी, जिसे ठीक करने के लिए स्किन ग्राफ्टिंग की जरूरत पड़ी — यानी स्वस्थ त्वचा को जलने वाले हिस्सों पर ट्रांसप्लांट करना।
“शिशुओं के शरीर में त्वचा बहुत कम होती है, इसलिए उनकी चोटों को ढकने के लिए मां की त्वचा सबसे उपयुक्त मानी जाती है,” डॉ. पारिख ने बताया। “पहले मनीषा के जले हुए हिस्सों का इलाज उनकी अपनी त्वचा से किया गया, फिर उनसे और ध्यांश की त्वचा लेकर ध्यांश के घावों को ढका गया।”
पाँच हफ्तों तक चले इलाज और कई सर्जरी के बाद मां और बेटा दोनों अब पूरी तरह ठीक हो चुके हैं और एक हफ्ते पहले अस्पताल से छुट्टी मिल गई है।
केडी अस्पताल के सीओओ डॉ. पार्थ देसाई ने बताया कि हादसे के बाद कुल छह मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया गया था, जिनमें चार बीजे मेडिकल कॉलेज के मेडिकल छात्र थे। उनमें से एक को फ्रैक्चर और एक को चेहरे की चोट लगी थी। लेकिन सबसे जटिल और संवेदनशील मामला इस मां-बेटे का ही था।