- महागठबंधन की सरकार के हर फैसले पर भाजपा को एतराज
रांची। झारखण्ड प्रवास के दौरान भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया ने कहा है कि आदिवासियों के नाम पर लोग सत्ता पाकर अपना विकास तो कर रहे हैं, पर यहाँ के आदिवासी विकास को तरस रहे हैं। वसुंधरा राजे सिंधिया के इस बयान के बाद महागामा विधायक दीपिका पांडे सिंह ने कहा झारखण्ड के आदिवासियों द्वारा अपना अधिकार मांगना गलत है। कुछ ऐसी ही मानसिकता भाजपा की हो गई है। पहले बाहरी को खड़ा कर माननीय न्यायालय से स्थानीय नियोजन नीति को रद्द कराया। यह कार्य आखिर भाजपा क्यों कर रही है। क्या झारखण्ड के लोगों को उनका हक अधिकार देना गलत है। महा गठबंधन की सरकार द्वारा झारखंडवासियों को अधिकार देने का प्रयास किया गया, लेकिन केंद्र में बैठी भाजपा की सरकार लगातार झारखण्ड के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। जो किसी से छुपी नहीं है।
हाल ही में भाजपा के थिंक टैंक कहे जाने वाले अमित शाह ने भी चाईबासा में आयोजित सभा के दौरान कहा था कि झारखंड में महा गठबंधन की सरकार झारखण्ड को बांटने का कार्य कर रही है। क्या यहां के लोगों को उनका अधिकार देने का प्रयास करना झारखण्ड को बांटना है। भाजपा भी तो यही चाहती थी कि यहां के लोगों को उनका अधिकार मिले। यह अलग बात है कि 20 साल तक शासन करने के बावजूद भाजपा लोगों को अधिकार और सम्मान नहीं दे सकी। जब गठबंधन की सरकार ने यह काम कर दिया तो उन्हें खामियां नजर आने लगी।
विधायक ने कहा केंद्र सरकार के समक्ष आदिवासी सरना धर्मकोड दो वर्ष से लंबित है, लेकिन केंद्र सरकार इसे नौवीं अनुसूची में शामिल नहीं कर रही है। ओबीसी आरक्षण पर भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टी मौन क्यों है।
विधायक ने कहा भाजपा की झारखण्ड से राजनीतिक पकड़ अब ढीली पड़ चुकी है। जिन मुद्दों के बल पर राज्यवासियों को बरगला कर भाजपा करीब 20 साल तक सत्ता में काबिज रही। उन मुद्दों को हमारी सरकार ने मात्र तीन वर्ष में पूरा कर दिया। ऐसे में अब किन मुद्दों को लेकर भाजपा लोगों के समक्ष जाए, वे इस उहापोह में हैं। यही वजह है कि यहां के आदिवासियों, मूलवासियों, वंचितों के अधिकार के लिए गए निर्णयों को भाजपा गलत बता रही है, जो राज्यवासियों प्रहार है, जिसकी बड़ी कीमत भाजपा को चुकानी होगी।