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    Home»देश»समुद्री ऊर्जा, समुद्र जैविकी में अनुसंधान, नवाचार की प्रबल आवश्यकता: नायडू
    देश

    समुद्री ऊर्जा, समुद्र जैविकी में अनुसंधान, नवाचार की प्रबल आवश्यकता: नायडू

    Team JoharBy Team JoharNovember 3, 2019No Comments2 Mins Read
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    चेन्नई । उप राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को ककि देश को समुद्री ऊर्जा, समुद्री जीव विज्ञान और जैव प्रौद्याेगिकी के क्षेत्रों को अग्रणी बनाने के लिए अनुसंधान कार्यों और नवाचार की महती आवश्यकता है।
    श्री नायडू ने यहां राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईओटी) के सिल्वर जुबली समारोह में कहा,“ यह संस्थान इसको हासिल करने में मील का पत्थर साबित हो सकता है।”
    उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2021-30 का दशक ‘सतत विकास के लिए समुद्री विज्ञान का दशक’ की घोषणा की है। उन्होंने इस पर खुशी जाहिर की भारत समुद्री दिशा में सक्रिय कार्रवाई करने के लिए प्रतिबद्ध है।
    उप राष्ट्रपति ने एनआईओटी की ओर संकेत करते हुए कहा कि ब्लू इकॉनोमी के प्राथमिक छह स्तम्भों जैसे मत्स्य एवं मत्स्य पालन, अक्षय समुद्री ऊर्जा, बंदरगाह और जहाजरानी, हाइड्रोकार्बन और समुद्री खनिज, समुद्री जैविक प्रौद्योगिकी, अनुसंधान एवं विकास और पर्यटन के सभी पहलुओं पर काम किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ‘ब्लू इकॉनोमी’ संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों के 14 वें लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी, जो ‘जल के नीचे जीवन’ है।
    श्री नायडू ने कहा, “ सतत विकास के लिए समुद्र, समुद्री संसाधनों के संरक्षण के साथ उनका निरंतर उपयोग करें।” ब्लू इकॉनोमी अप्रत्यक्ष आर्थिक लाभ में भी शामिल हैं जिसकी मार्केटिंग नहीं की जा सकती है। इनमें कार्बन प्राच्छादन, तटीय संरक्षण, सांस्कृतिक मूल्य और जैव विविधता इत्यादि शामिल हैं।

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