Ranchi : झारखंड में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने जेल से कैदियों के ऐशो आराम के वायरल वीडियो पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने झारखंड उच्च न्यायालय से राज्य की जेलों में हो रहे गैरकानूनी कार्यों पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया। साथ ही उच्च न्यायालय के सिटिंग जज के नेतृत्व में जांच कराने की मांग की।
मरांडी ने गुरुवार को सोशल मीडिया एक्स पर लिखा कि वायरल वीडीओ कोई मयखाना या डांस बार का नहीं, रांची होटवार सेंट्रल जेल का है। लालू यादव और हेमंत सोरेन जैसे भ्रष्टाचार के आरोपित, कैदी के रूप में इस जेल की शोभा बढ़ा चुके हैं। जेल में रसूखदार कैदियों के लिए अलग नियम है। जेल में बंद रसूखदार कैदियों को पैसे के बल पर सभी तरह की सुविधाएं मिलती हैं। जेल में रसूखदार कैदियों के लिए कई विशेष वार्ड भी बने हुए हैं, जिननें रहने के लिए एंट्री फीस देनी पड़ती है। प्रत्येक माह तय रकम खर्च करने पड़ते हैं।
बाबूलाल ने कहा कि हेमंत सोरेन के संरक्षण में जेल में रह चुके कुछ नामचीन कैदी जेल विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से जेल में ऐशो-अय्याशी की पूरी व्यवस्था चलाते हैं। पैसे लेकर हर तरह के वैसे काम किए जाते हैं, जो जेल मैनुअल का उल्लंघन करते हों। इन गतिविधियों के संदर्भ में उन्होंने सरकार को कई बार आगाह भी किया, लेकिन जेल में गैर कानूनी काम बंद नहीं हुए, उसके वीआईपी कैदियों की विशेष मेहमाननवाज़ी से इनकार कर इन पर अंकुश लगाने की कोशिश करने वाले अधिकारी रॉबर्ट निशांत बेसरा का ही तबादला कर दिया गया।

मरांडी ने कहा कि यह वीडियो वायरल होने पर दो कर्मचारियों को निलंबित कर ख़ानापूर्ति कर ली गई है, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि हजारीबाग जेल में बंद विनय सिंह को विशेष सुविधाएं देने के नाम पर जिस कारापाल दिनेश वर्मा को बीस दिन पहले निलंबित कर वहां से हटाया गया था, उसे ही निलंबन मुक्त कर एक तरह से पुरस्कार देते हुए अब बिरसा मुंडा जेल का प्रभारी कारापाल बना दिया गया है। चर्चा है कि इसके लिये वर्मा का अच्छा दोहन किया गया है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जेल महानिरीक्षक से यह पूछा जाना चाहिए कि जो हजारीबाग में गंभीर गड़बड़ी करने के लिये अभी-अभी निलंबित हुआ, उसने कौन सी जादू की छड़ी चला दी कि उसे तुरंत निलंबन मुक्त कर बिरसा मुंडा जेल में तैनाती का इनाम दिया गया? उन्होंने कहा कि जेल का ये गंदा खेल अकेले छोटे-मोटे कर्मचारियों के बस की बात नहीं। बिना उच्च अधिकारियों की अनुमति, सहमति एवं हिस्सेदारी के ये कैसे हो सकता है? इसके लिये सीधे जेल आईजी ज़िम्मेदार हैं, इसलिये निलंबन की कार्रवाई तो आईजी पर होनी चाहिये। आईजी को ये बताना चाहिए कि किसके आदेश पर वे जेल में ये सब धंधा करवा रहे थे?
मरांडी ने कहा कि शराब घोटाले के जिस हाईप्रोफ़ाइल क़ैदी की जेल में डांस करते और वीडियो बनाते तस्वीर वायरल हुई है, इसमें एक वही व्यक्ति है, जिसे चार्जशीट समय पर दाखिल न कर ज़मानत पर निकलवाने की सुविधा एसीबी सह सीआईडी के पूर्व डीजी ने प्रदान करवायी है और जेल आईजी, सीआईडी के भी आईजी हैं। ऐसा लगता है कि ये सारे लोग आपस में मिल-जुलकर ये सब गोरखधंधा चला रहे हैं।
उन्होंने झारखंड उच्च न्यायालय से राज्य की जेलों में हो रहे गैरकानूनी कार्यों पर संज्ञान लेने का अनुरोध किया। साथ ही उच्च न्यायालय के सिटिंग जज के नेतृत्व में जेल में चल रहे खेल और उच्च अधिकारियों की संलिप्तता तथा उनके मनमाने कार्यों की जांच कराने की मांग की, जिससे कि प्रदेश के लोगों को पता चल सके कि आखिरकार ये हो क्या रहा है?
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