Ranchi: झारखंड आंदोलन के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने राज्यवासियों से सामाजिक समरसता और आपसी भाईचारा बनाए रखने की अपील की है। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान में हर समस्या का समाधान मौजूद है, इसलिए झारखंडी जनता को किसी भी हालत में अपनी एकता को कमजोर नहीं होने देना चाहिए।
बेसरा ने झारखंड की पहचान को परिभाषित करते हुए कहा कि भाषा, संस्कृति और परंपराओं से हमारी जातीय पहचान तय होती है, जबकि खतियान के आधार पर मूलवासी की पहचान निर्धारित होती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि झारखंड में हिंदू, मुस्लिम, सरना, सिख और ईसाई सभी भाई–भाई हैं, और आदिवासी व मूलवासी की एकता ही झारखंडी अस्मिता की असली पहचान है।
उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि कुछ ताकतें झारखंडियों को आपस में लड़ाने और भाईचारे को तोड़ने की साजिशें कर रही हैं, जो राज्य की एकता के लिए बेहद घातक हैं। बेसरा ने कहा कि सरना धर्म और प्रकृति पूजा करने वाले आदिवासी हमेशा ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना का पालन करते आए हैं।

झारखंड आंदोलन की पृष्ठभूमि को याद करते हुए उन्होंने कहा कि पाँच दशक लंबे संघर्ष के बाद अलग राज्य का गठन हुआ, लेकिन 25 साल बाद भी मूल मुद्दे अधर में हैं। इस अवधि में छह विधानसभा चुनाव हुए, तीन बार राष्ट्रपति शासन लागू हुआ और 13 बार सरकार बदली, फिर भी न तो राज्य की तस्वीर बदली और न ही जनता की तकदीर।
बेसरा ने कहा कि अब समय आ गया है कि झारखंडी जनता संविधान के रास्ते पर चलते हुए अपनी समस्याओं का हल खुद तलाशे और अपनी एकता को बनाए रखे।