Johar Live Desk : लद्दाख में हिंसक झड़पों के बाद हिरासत में लिए गए प्रसिद्ध पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी को लेकर अब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। वांगचुक की पत्नी गीतांजलि आंगमो ने राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत की गई गिरफ्तारी को चुनौती दी है और कोर्ट से उनकी तत्काल रिहाई की मांग की है।
24 सितंबर को लद्दाख में प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें चार लोगों की मौत और 90 से अधिक लोग घायल हुए। इसके दो दिन बाद, 26 सितंबर को सोनम वांगचुक को रासुका के तहत गिरफ्तार कर जोधपुर जेल भेज दिया गया।
गीतांजलि आंगमो ने 2 अक्टूबर को अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर की और आरोप लगाया कि उन्हें अब तक हिरासत आदेश की प्रति नहीं दी गई है, जो कानून का उल्लंघन है। उन्होंने यह भी कहा कि वह अभी तक वांगचुक से कोई संपर्क नहीं कर पाई हैं।

गीतांजलि का कहना है कि उनके पति किसी भी हिंसा में शामिल नहीं थे और उस समय दूसरी जगह पर शांतिपूर्वक भूख हड़ताल पर बैठे थे। उन्होंने दावा किया कि यह पूरी कार्रवाई एक सोची-समझी साजिश है, जिसमें वांगचुक को बलि का बकरा बनाया गया।
क्या है पूरा मामला?
2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया जम्मू-कश्मीर (विधानसभा सहित) और लद्दाख (बिना विधानसभा)। लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा देने की मांग लंबे समय से उठ रही है।
इसी मांग को लेकर वांगचुक ने 10 सितंबर से 35 दिनों के सत्याग्रह की शुरुआत की थी। उनके साथ लद्दाख एपेक्स बॉडी (LAB) के कई कार्यकर्ता भी भूख हड़ताल पर थे। 2 अक्टूबर को जब दो कार्यकर्ताओं की तबीयत बिगड़ी तो प्रदर्शन तेज हो गया।
इसके बाद लेह बंद बुलाया गया और भारी संख्या में युवा सड़कों पर उतर आए। उन्होंने भाजपा कार्यालय और हिल काउंसिल के खिलाफ प्रदर्शन किया। हालात बिगड़ने पर सुरक्षाबलों ने बल का प्रयोग किया, जिससे हिंसा फैल गई। पथराव, आगजनी और तोड़फोड़ के बाद स्थिति और गंभीर हो गई।
अब क्या?
वांगचुक की गिरफ्तारी पर देशभर में सवाल उठ रहे हैं और अब यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सर्वोच्च अदालत इस याचिका पर सुनवाई कब करेगा, यह देखना बाकी है। उधर, लद्दाख में अभी भी तनावपूर्ण स्थिति बनी हुई है।
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