Johar Live Desk : विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में कहा कि आतंकवाद विकास के लिए “लगातार खतरा” बना हुआ है। उन्होंने जोर देकर कहा कि दुनिया को आतंकवादी गतिविधियों के प्रति न तो सहनशीलता दिखानी चाहिए और न ही उन्हें किसी तरह का सहयोग देना चाहिए।
आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख
जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र में जी-20 बैठक को संबोधित करते हुए कहा, “आतंकवाद शांति और विकास में सबसे बड़ी बाधा है। जो लोग आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई करते हैं, वे पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सेवा करते हैं।” उन्होंने आतंकवाद से सख्ती से निपटने और बहुपक्षवाद में सुधार की जरूरत पर बल दिया।
वैश्विक अस्थिरता और बहुपक्षवाद
उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में दुनिया संघर्ष, आर्थिक दबाव और आतंकवाद का सामना कर रही है, जिससे बहुपक्षवाद और संयुक्त राष्ट्र की सीमाएं उजागर हो रही हैं। जयशंकर ने कहा, “आज अंतरराष्ट्रीय स्थिति राजनीतिक और आर्थिक रूप से अस्थिर है। जी-20 के सदस्यों की जिम्मेदारी है कि हम इसे स्थिर करें। यह बातचीत, कूटनीति, आतंकवाद के खिलाफ सख्ती और ऊर्जा व आर्थिक सुरक्षा के जरिए संभव है।”

यूक्रेन और गाजा का असर
जयशंकर ने यूक्रेन और गाजा में चल रहे संघर्षों का जिक्र करते हुए कहा कि इनका असर वैश्विक दक्षिण के देशों पर पड़ा है। ऊर्जा, खाद्य और उर्वरक की कीमतें बढ़ी हैं, जिससे आपूर्ति और रसद पर दबाव बढ़ा है। उन्होंने दोहरे मानदंडों की आलोचना करते हुए कहा, “शांति विकास को संभव बनाती है, लेकिन विकास को खतरे में डालने से शांति नहीं मिल सकती।”
बातचीत और कूटनीति की जरूरत
विदेश मंत्री ने युद्ध के बजाय बातचीत और कूटनीति की दिशा में बढ़ने की अपील की। उन्होंने कहा कि कुछ देश दोनों पक्षों से बातचीत कर शांति स्थापित करने में सक्षम हैं। ऐसे देशों को प्रोत्साहित करना चाहिए ताकि शांति और स्थिरता कायम हो सके।
शांति और विकास का रास्ता
जयशंकर ने जोर देकर कहा कि आर्थिक नाजुकता में ऊर्जा और अन्य जरूरी चीजों को अनिश्चित करना किसी के हित में नहीं है। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से शांति और विकास के लक्ष्यों का समर्थन करने की अपील की।