Ranchi: झारखंड में राशनकार्ड धारकों के लिए अनिवार्य ई-केवाईसी प्रक्रिया ने लाखों जरूरतमंद लोगों को परेशान कर दिया है। तकनीकी कठिनाइयों और प्रशासनिक ढील के कारण कई कार्डधारकों को राशन नहीं मिल पा रहा है, जिससे राज्य में कुपोषण और भूख की समस्या बढ़ने का खतरा है। लातेहार जिले के मनिका प्रखंड के बिचलीदाग गांव में सतेंद्र सिंह के बेटे विनीत का ई-केवाईसी अब तक पूरा नहीं हो सका। प्रखंड कार्यालय ने पहले आधार अपडेट की शर्त रखी, जिसके लिए जन्म प्रमाणपत्र जरूरी बताया गया। बार-बार प्रयास करने के बावजूद आधार अपडेट और ई-केवाईसी दोनों नहीं हो पाए। यह केवल एक उदाहरण नहीं है; झारखंड में हजारों ऐसे मामले हैं।
पश्चिमी सिंहभूम समेत कई जिलों में पिछले छह महीनों से ई-केवाईसी न कराने और राशन न लेने वालों के कार्ड रद्द करने की कार्रवाई शुरू हो चुकी है। केंद्र सरकार ने राज्य को लगभग 41 लाख “अयोग्य” कार्डधारकों की सूची भेजी है, जिनमें मृतक, डुप्लीकेट कार्डधारक और 2.4 एकड़ से अधिक भूमि वाले शामिल हैं। 4 अगस्त 2025 तक झारखंड में 2.5 लाख कार्ड पहले ही रद्द किए जा चुके हैं। हालांकि इस प्रक्रिया की पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
ई-केवाईसी (इलेक्ट्रॉनिकली नो योर कस्टमर) आधार आधारित सत्यापन प्रणाली है, जिसमें बायोमेट्रिक या चेहरे की पहचान के जरिए कार्डधारक की पुष्टि की जाती है। इसका उद्देश्य फर्जी और अयोग्य लाभार्थियों को हटाकर वास्तविक जरूरतमंदों को लाभ पहुंचाना है। केंद्र ने इसे 30 जून 2025 तक अनिवार्य कर दिया था और समय सीमा के बाद सब्सिडी रोकने की चेतावनी दी गई थी।
5 अगस्त 2025 तक झारखंड के 72.9 लाख राशनकार्डों में से 14.6 लाख कार्ड आधार से लिंक नहीं हो पाए थे, जिससे वे ई-केवाईसी प्रक्रिया से बाहर हो गए। नवंबर 2024 से जून 2025 के बीच पुरानी 2G ई-पॉस मशीनें, नेटवर्क की कमी, धीमे सर्वर, बायोमेट्रिक विफलताएं और आधार में मोबाइल नंबर न जुड़े होने जैसी समस्याएं सामने आईं। खाद्य आपूर्ति विभाग के प्रभारी सचिव उमाशंकर सिंह ने दिसंबर 2024 में स्वीकार किया था कि सर्वर ओवरलोडिंग के कारण राशन वितरण और ई-केवाईसी प्रक्रिया दोनों प्रभावित हो रही थीं। ग्रामीण इलाकों में लोग बार-बार प्रखंड कार्यालय, आधार केंद्र और राशन दुकानों के चक्कर लगा रहे हैं। प्रवासी मजदूर, बुजुर्ग और बीमार लोग इस प्रक्रिया से पूरी तरह बाहर हो गए हैं।
मनिका प्रखंड में आदिवासी समुदाय सबसे अधिक प्रभावित हुआ। मई 2025 तक वहां के 1120 आदिवासी कार्डधारकों में से 797 (71%) का ई-केवाईसी नहीं हो पाया। इनमें से 21% कार्डधारकों के आधार नंबर भी राशनकार्ड से जुड़े नहीं थे। कई गांवों में केवल एक सदस्य का ई-केवाईसी किया गया और परिवार को बताया गया कि इतना ही पर्याप्त है, लेकिन बाद में राशन वितरण रोक दिया गया।
केंद्र सरकार ने ई-केवाईसी न होने वाले लाभार्थियों को चिह्नित करने और कारण दर्ज करने के निर्देश दिए थे। लेकिन राज्य सरकार ने राशन डीलरों को कोई मानकीकृत फॉर्मेट नहीं दिया, जिससे डेटा अधूरा और बिखरा हुआ रहा। अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि जिन कार्डधारकों का ई-केवाईसी नहीं हो सका, उनके लिए क्या विकल्प होंगे।