Palamu : पलामू प्रमंडल के लातेहार में पिछले दिनों कथित अंगरक्षक दुर्व्यवहार मामले को लेकर पूर्व मंत्री केएन त्रिपाठी ने मीडिया से बातचीत की। परिसदन में पत्रकारों से बात करते हुए केएन त्रिपाठी ने कहा कि अंगरक्षक दुर्व्यवहार मामले में दोष साबित होने पर राजनीति से संन्यास ले लेंगे। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि घटना के कई घंटे बीत जाने के बाद पलामू एसपी रीष्मा रमेशन और सार्जेंट मेजर सुरेश राम के बहकावे में आकर अंगरक्षकों ने दूसरे दिन और दूसरे थाने में जीरो एफआइआर दर्ज करायी। उन्होंने जीरो एफआइआर पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह प्रक्रिया तब अपनायी जाती है, जब दूरी हो और कम से कम दूसरे राज्य का मामला हो।
अगर सच में दुर्व्यवहार, जाति सूचक शब्द का प्रयोग, मारपीट का मामला था तो घटना वाले दिन दोपहर डेढ बजे से लेकर रात के 8.30 बजे तक लातेहार थाना में बैठे रहने के बावजूद अंगरक्षकों ने प्राथमिकी क्यों नहीं दर्ज करायी। जवानों ने किसी तरह की शिकायत लातेहार थाने में नहीं की थी। उन्होंने तमाम घटनाक्रम का साक्ष्य भी दिखाया।
त्रिपाठी ने कहा कि उनके दो अंगरक्षकों में से एक का आचरण ठीक नहीं था। कार्यक्रमों में जाने पर महिलाओं और लड़कियों का नंबर ले लेता था और बार बार फोन करता था। कई शिकायत आयी थी। कई बार उसे समझाया। 15 अगस्त जैसे मौके पर जब मैं तिरंगे को सलामी दे रहा था तो वह अनावश्यक घूम रहा था। उनके समझाने से जवान सिखने के बजाय गुस्से में थे। जिस दिन लातेहार में जाम लगी थी, उस दिन भी जवानों का रवैया ठीक नहीं था। जाम हटाने के क्रम में स्कॉर्पियो वाले को डांटने पर अंगरक्षक उल्टा उन पर ही गुस्सा कर रहा था। हिंसक रूप उसका नजर आया। अचानक वह डिक्की से सामान उतार लिया और साथ जाने को तैयार नहीं हुआ।
बिना अंगरक्षक लातेहार में कई घंटे तक रहा। पलामू एसपी से बात करने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने बात करने और कुछ भी सुनने से इनकार कर दिया। डीआइजी को जानकारी दी, उन्होंने बात सुनी। त्रिपाठी ने कहा कि इस मामले में कई कारण सामने हैं। जांच के क्रम में बतायी जायेगी। उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव से मामले की निष्पक्ष जांच कर स्थिति स्पष्ट करने का आग्रह किया है।
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