New Delhi : राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। ‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाले से जुड़े मामले में उनकी याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस एन कोटेश्वर सिंह की बेंच ने लालू यादव की उस याचिका को सुनने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के ट्रायल पर रोक न लगाने के फैसले को चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा, “हम ट्रायल पर रोक नहीं लगाएंगे। हम अपील खारिज करते हैं और मुख्य मामले का फैसला होने देने की बात कहते हैं। इस छोटे मामले को क्यों रखा जाए?” कोर्ट ने यह भी जोड़ा कि जब दिल्ली हाई कोर्ट पहले ही इस मामले की सुनवाई कर रहा है, तो सुप्रीम कोर्ट को इसमें दखल देने की कोई जरूरत नहीं है।
व्यक्तिगत पेशी से छूट, लेकिन ट्रायल जारी
हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने लालू यादव को थोड़ी राहत दी है। कोर्ट ने कहा कि उन्हें ट्रायल के दौरान व्यक्तिगत रूप से पेश होने की जरूरत नहीं होगी। साथ ही, दिल्ली हाई कोर्ट को निर्देश दिया गया कि वह लालू की उस याचिका पर जल्द सुनवाई करे, जिसमें ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है।
लालू यादव की ओर से सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने पैरवी की, जबकि सीबीआई की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने पक्ष रखा।
धारा 17A पर तीखी बहस
लालू यादव ने दलील दी थी कि सीबीआई ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17A के तहत जांच शुरू करने से पहले आवश्यक अनुमति नहीं ली थी। इस धारा के अनुसार, किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ जांच शुरू करने से पहले सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य है। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मुद्दे को खारिज करते हुए कहा था कि इसे आरोप तय होने के दौरान उठाया जा सकता है।
सुनवाई के दौरान, एएसजी राजू ने तर्क दिया कि यह मामला 2018 के संशोधन से पहले का है, इसलिए धारा 17A लागू नहीं होती। जवाब में कपिल सिब्बल ने कहा, “लालू 2005 से 2009 तक रेल मंत्री थे। एफआईआर 2021 में दर्ज हुई। बिना अनुमति के जांच शुरू नहीं हो सकती। बाकी कर्मचारियों के लिए अनुमति ली गई, लेकिन इनके लिए नहीं।” सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि वह इस स्तर पर मामले की गहराई में नहीं जाएगी।
क्या है ‘लैंड फॉर जॉब’ घोटाला?
लालू प्रसाद यादव पर आरोप है कि जब वे केंद्र में रेल मंत्री थे, तब उन्होंने रेलवे में नौकरी देने के बदले लोगों से कथित तौर पर जमीन ली थी। सीबीआई इस मामले की जांच कर रही है। लालू का मुख्य बचाव यह रहा है कि सीबीआई ने उनके खिलाफ जांच शुरू करने से पहले सक्षम प्राधिकारी से अनुमति नहीं ली थी।
आगे क्या?
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद लालू यादव को अब इस मामले में ट्रायल का सामना करना होगा। यह उनके राजनीतिक और कानूनी करियर के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। अगर वे दोषी पाए जाते हैं, तो उन्हें जेल की सजा भी हो सकती है। अब सबकी नजरें दिल्ली हाई कोर्ट पर टिकी हैं, जहां लालू की याचिका पर जल्द सुनवाई होगी। इस मामले का भविष्य क्या होगा, यह आने वाले समय में साफ होगा।