Patna : बिहार की राजधानी पटना में आज हजारों छात्रों ने सरकारी नौकरियों में डोमिसाइल नीति और भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता की मांग को लेकर विशाल प्रदर्शन किया। पटना कॉलेज से शुरू हुआ यह प्रदर्शन गांधी चौक, मुसल्लहपुर हाट, भिखना पहाड़ी, नया टोला, मछुआ टोली, हथुआ मार्केट, गांधी मैदान, जेपी गोलंबर और डाक बंगला चौराहा होते हुए CM आवास तक पहुंचा।
डोमिसाइल नीति लागू करने की मांग तेज
राज्य के विभिन्न जिलों से आए छात्रों ने हाथों में तख्तियां लेकर अपनी मांगें बुलंद कीं। छात्रों ने स्पष्ट रूप से कहा कि बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) की शिक्षक भर्ती (TRE) में प्राथमिक शिक्षक पदों पर 100% डोमिसाइल नीति लागू की जाए। उनका तर्क है कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होने से बच्चों का सर्वांगीण विकास बेहतर होता है। इसके अलावा माध्यमिक, उच्चतर माध्यमिक शिक्षकों, दारोगा, सिपाही, लाइब्रेरियन, BPSC और अन्य सरकारी नौकरियों में 90 प्रतिशत डोमिसाइल लागू करने की मांग भी उठाई गई। छात्रों का कहना है कि इससे बिहार के युवाओं को रोजगार के अधिक अवसर मिलेंगे और राज्य की सामाजिक-आर्थिक स्थिति मजबूत होगी।
बिहार सरकार का रुख
बिहार सरकार ने भी डोमिसाइल नीति लागू करने की दिशा में कदम उठाने की बात कही है। डिप्टी CM सम्राट चौधरी ने 19 जून को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर घोषणा की थी कि आगामी भर्तियों में डोमिसाइल नीति लागू होगी। उन्होंने कहा, “बिहार के युवाओं के लिए खुशखबरी! स्कूलों में 15,000 पदों पर भर्ती होगी और नियुक्ति में डोमिसाइल नीति लागू की जाएगी।”
राजनीतिक दलों का रुख
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए वादा किया है कि उनकी सरकार बनने पर 100% डोमिसाइल नीति लागू की जाएगी। पार्टी नेताओं का कहना है कि यह बिहार के युवाओं का संवैधानिक अधिकार है। वहीं, विपक्ष का तर्क है कि डोमिसाइल नीति से बाहरी योग्य अभ्यर्थियों के अवसर सीमित होंगे। हालांकि, छात्र संगठनों का कहना है कि बिहार के युवाओं का हक पहले सुनिश्चित होना चाहिए।
डोमिसाइल नीति का राजनीतिक महत्व
बिहार में डोमिसाइल नीति लंबे समय से एक ज्वलंत मुद्दा रहा है। राज्य में युवाओं के बढ़ते पलायन और सरकारी नौकरियों में बाहरी उम्मीदवारों की बढ़ती संख्या ने इस मांग को और मुखर कर दिया है। छात्रों का यह प्रदर्शन, जो इससे पहले 5 जून को भी देखने को मिला था, बिहार की राजनीति में डोमिसाइल नीति के महत्व को और रेखांकित करता है। आने वाले विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा निर्णायक भूमिका निभा सकता है।
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