Jharkhand: झारखंड में अब साइबर ठगी के शिकार लोगों को राहत मिलने वाली है। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद राज्य में ऐसे सभी पीड़ितों को लूटे गए पैसे वापस दिलाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है भले ही उन्होंने केस दर्ज न कराया हो। इस संबंध में राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) अनुराग गुप्ता ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों (SP) को पत्र जारी कर आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है।
यह निर्देश झारखंड हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल मनोज के द्वारा डीजीपी को भेजे गए पत्र के आधार पर आया है। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि यदि पीड़ित व्यक्ति ने साइबर हेल्पलाइन नंबर 1930 पर शिकायत दर्ज कराई है और उसका पैसा संबंधित बैंक द्वारा फ्रीज किया गया है तो उसे वापस दिलाने की पहल की जानी चाहिए भले ही उसने एफआईआर दर्ज न कराई हो।
रजिस्ट्रार जनरल ने एक फॉर्मेट भी तैयार कराया है जिसके माध्यम से पीड़ित न्यायालय में आवेदन देकर अपने पैसे की वापसी की मांग कर सकते हैं। इस फॉर्म में पीड़ित का नाम, बैंक खाता संख्या, शिकायत की तिथि, और 1930 नंबर पर की गई कॉल की जानकारी देनी होगी। इसके साथ यह भी बताना होगा कि बैंक ने संबंधित खाता फ्रीज किया है और नोटिस जारी किया गया है।
राज्य में साइबर अपराध की घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं। वर्ष 2024 में झारखंड में कुल 17,633 लोगों ने साइबर फ्रॉड की शिकायत दर्ज कराई थी जिनसे 297 करोड़ रुपये की ठगी हुई। लेकिन इनमें से केवल 1,498 मामलों में ही केस दर्ज कराए गए। वहीं 2025 के जून मध्य तक 9,912 लोगों ने शिकायत की जिनसे 93 करोड़ रुपये की ठगी की गई। पर इनमें से सिर्फ 342 लोगों ने केस दर्ज कराया।
पहले सिर्फ केस दर्ज कराने पर ही पैसा वापस मिल सकता था लेकिन अब हाईकोर्ट के निर्देश के बाद सिर्फ शिकायत के आधार पर भी पैसा वापस पाने का रास्ता साफ हो गया है।
यह कदम उन लोगों के लिए खास राहत लेकर आया है जो केस की प्रक्रिया से डरकर या अनजान होने के कारण शिकायत दर्ज करने के बाद भी चुप बैठ जाते थे। अब बिना केस दर्ज कराए भी उन्हें न्याय मिलने की उम्मीद है।
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