भागलपुर/पटना : बिहार के ऊर्जा क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने भागलपुर जिले के पीरपैंती में 2400 मेगावाट क्षमता वाले ग्रीनफील्ड थर्मल पावर प्लांट की स्थापना की घोषणा की है। 21,400 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाली यह परियोजना निजी क्षेत्र में अब तक का सबसे बड़ा निवेश मानी जा रही है।
बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बिहार का कदम
बिहार स्टेट पावर जेनरेशन कंपनी लिमिटेड ने इस मेगा प्रोजेक्ट के लिए टेंडर प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। इच्छुक एजेंसियां 25 जून 2025 तक टेंडर में भाग ले सकती हैं। तकनीकी बोली 11 जुलाई और वित्तीय बोली 16 जुलाई को खोली जाएगी, जिसमें ई-रिवर्स नीलामी के जरिए सबसे कम दर वाली एजेंसी को यह प्रोजेक्ट सौंपा जाएगा। यह परियोजना केंद्र सरकार की टैरिफ पॉलिसी 2016 के तहत अनुमोदित है। इसके लिए कोल इंडिया से कोयले का आवंटन और कुल 1020.60 एकड़ भूमि का अधिग्रहण पहले ही पूरा हो चुका है।
नीतीश सरकार की ऊर्जा नीति का बड़ा असर
यह पावर प्लांट CM नीतीश कुमार की दीर्घदर्शी ऊर्जा नीति का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य बिहार को बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है। फिलहाल बिहार को अपनी बिजली आवश्यकताओं के लिए अन्य राज्यों से बिजली खरीदनी पड़ती है, जिससे लागत बढ़ती है। पावर प्लांट चालू होने के बाद राज्य को स्थायी और सस्ती बिजली आपूर्ति सुनिश्चित होगी, जिससे उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी और राज्य सरकार की बिजली पर सब्सिडी का बोझ भी कम होगा।
रोजगार और औद्योगिक विकास को मिलेगा बढ़ावा
इस परियोजना से न केवल हजारों प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर सृजित होंगे, बल्कि राज्य में औद्योगिक इकाइयों को भी बढ़ावा मिलेगा। सस्ती और स्थिर बिजली आपूर्ति से उद्योगों को मजबूती मिलेगी, जिससे बिहार में निवेश और आर्थिक गतिविधियां तेज होंगी। प्रारंभ में इस क्षेत्र में सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित करने की योजना थी, लेकिन तकनीकी सर्वेक्षण के बाद थर्मल पावर प्लांट को अधिक व्यवहारिक और लाभकारी माना गया। कोयले की आसान उपलब्धता और उपयुक्त जमीन ने इस फैसले को और मजबूती दी।
अगले 15–20 वर्षों तक पूरी करेगा बिजली की जरूरतें
इस परियोजना के सफल क्रियान्वयन से अगले 15–20 वर्षों तक बिहार की बिजली जरूरतों को बिना किसी रुकावट के पूरा किया जा सकेगा। यह पावर प्लांट न केवल राज्य की ऊर्जा सुरक्षा को सुनिश्चित करेगा, बल्कि विकास के नए द्वार भी खोलेगा। बिहार में यह परियोजना ऊर्जा आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा मील का पत्थर साबित हो सकती है।
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